
Ajmer staion second entry gate
अजमेर. शहर की लगभग एक चौथाई आबादी की सहूलियत के लिए पालबीसला की तरफ बनाए गए रेलवे के सैकंड एंट्री गेट से शहरवासियों ने ही दूरी बनाई हुई है। रेलवे स्टेशन की पिछली तरफ बने इस प्रवेश-निकास द्वार का लोकार्पण हुए छह माह बीत चुके है लेकिन यहां रोजाना कुल मिलाकर 5-6 यात्री भी कदम नहीं रखते।
रेलवे स्टेशन के मुख्य प्रवेश-द्वार व प्लेटफार्म से यात्रियों की भीड़ और स्टेशन रोड पर यातायात का दबाव कम करने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च कर पालबीसला की ओर सैकंड एंट्री गेट बनाया गया। दरअसल पालबीसला की तरफ स्टेशन का दूसरा प्रवेश-निकास द्वार खोलने के लिए जन प्रतिनिधियों सहित शहर के कुछ संगठनों ने ही आवाज उठाई थी। शहरवासियों की मांग और जरुरत को देखते हुए रेलवे ने भी इसके प्रयास शुरू कर दिए। तीन चार वर्ष की मशक्कत के बाद आखिर सैकंडी एंट्री गेट हकीकत में नजर आने लगा।
सूना परिसर, खाली टिकट खिड़कियां
इसी वर्ष मार्च मेंं इस सैकंड एंट्री गेट का लोकार्पण कर दिया गया। लोकार्पण समारोह में जितनी भीड़ जुटी पिछले छह माह में उतनी संख्या में कुल मिलाकर भी यहां यात्री नहीं आए। लोकार्पण के साथ ही शहरवासी भी इस प्रवेश-निकास द्वार को लगभग भूल गए। हालत यह है कि यह स्टेशन परिसर पूरे दिन सूना रहता है। यात्रियों की सुविधा के लिए यहां खोली गई टिकट खिड़कियां भी अधिकांश वक्त खाली रहती है। खास बात यह है कि स्टेशन के मुख्य प्रवेश-द्वार परिसर में स्थित टिकट खिड़कियों पर दिन भर लंबी लाइनें लगी रहती है। यात्रियों की इसी बेरुखी को देखते हुए आखिर रेल प्रशासन ने यहां खोली टिकट खिड़कियों का समय भी घटा दिया। पूर्व में आरक्षित खिडक़ी सुबह 8 से रात्रि 8 बजे तक खुलती थी । अब उसका समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर दिया गया है। इसी प्रकार अनारक्षित टिकट खिडक़ी भी दोपहर चार बजे बंद कर दी जाती है।
परिसर में सुविधा, फिर भी दुविधा
रेलवे प्रशासन की ओर से पालबीसला स्थित सैकंड एंट्री गेट पर यात्रियों की सुविधा के लिए सभी प्लेटफार्म से जोडऩे के लिए दो फुट ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है। सीढिय़ां चढऩे की मशक्कत से बचाने के लिए एस्केलेटर्स और लिफ्ट भी लगाई गई है। स्टेशन परिसर में विशाल पार्किंग और प्रतीक्षालय बनाए गए हैं। इसके बावजूद श्रीनगर रोड, मदार, धोलाभाटा, कुंदननगर, बिहारी गंज सहित शहर के इस भाग में रहने वाले शहरवासी पालबीसला की तरफ आना पसंद नहीं करते। सैकंड एंट्री गेट का विशाल परिसर अब जानवरों के घूमने अथवा बच्चों के खेलने का स्थान बना हुआ है।
सैकंड नहीं बल्कि थर्ड एंट्री गेट
दरअसल रेल प्रशासन ने पालबीसला के इस प्रवेश-निकास द्वार को सैकंड एंट्री गेट का नाम दिया है लेकिन हकीकत में यह स्टेशन का थर्ड एंट्री गेट है। स्टेशन का सैकंड एंट्री गेट गांधी भवन चौराहे पर दो वर्ष पूर्व ही खुल चुका है।
इनका कहना है
रेल प्रशासन की तरफ से तो पालबीसला सैकंड एंट्री गेट पर तमाम सुविधाएं दी जा चुकी है। शहर वासियों की मांग को देखते हुए इसका निर्माण हुआ था। हालत यह है कि यहां से रोजाना गिनती के टिकट ही बिकते हैं। यातायात कनेक्टविटी और तमाम सुविधाओं के बावजूद शहर वासी यहां कदम नहीं रखते। अब इसमें रेलवे भी क्या कर सकता है।
-राजेश कुमार कश्यप, मंडल रेल प्रबंधक

Published on:
13 Aug 2019 06:06 am
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