
Ajmer Sharif Urs 2022: खुद बनाई चादर पेश करते हैं अकीदतमंद
अजमेर. गरीब नवाज की दर पर चढऩे वाली चादरें अकीदतमंद की भावना और ख्वाजा साहब के प्रति आस्था की प्रतीक होती हैं। कई जायरीन अपने हाथों से तैयार की गई विशेष चादर पेश करके भी अपनी अकीदत पेश करते हैं।
हैदराबाद और नागपुर से आने वाले जायरीन भी वर्षों से विशेष कारीगरी वाली चादरें पेश करते आ रहे हैं। हर साल उनकी चादर का जुलूस दरगाह क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र होता है। बैंड बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ धूमधाम से जुलूस निकाला जाता है। उर्स से दो-तीन महीने पहले ही चादर बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाता है। इसमें कपड़ा, वेलवेट, गोटा, जरी, चमकी, चांद-सितारे आदि सामग्री काम में ली जाती है। दो महीने लगे चादर बनाने मेंकिंग एडवर्ड मेमोरियल में ठहरे नागपुर से आए मोहम्मद हनीफ ने बताया कि वह करीब 2 महीने पहले ही चादर तैयार करने में जुट जाते हैं। इस बार 25 फीट लम्बी और 15 फीट चौड़ी चादर लेकर उनका दल यहां पहुंचा है। हनीफ ने बताया कि शुक्रवार रात चादर का जुलूस निकाला जाएगा। इसमें जबलपुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र का बैंड शामिल होगा। उन्होंने बताया कि पिछले दस साल से वे यहां चादर लेकर आ रहे हैं।
देश को जोड़ती है सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता -बिरला
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें उर्स के मौके पर सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से चादर और फूल पेश कर देश में आपसी सद्भाव और भाईचारे की दुआ की गई। बिरला की चादर लेकर उनके ओएसडी राजीव दत्ता अजमेर आए।
उर्स के मौके पर भेजे गए अपने संदेश में स्पीकर बिरला ने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह कौमी एकता की मिसाल है जो देश में भाईचारे को प्रोत्साहित करती है। सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता देश को जोड़ती है, यही भारत की विशेषता भी है। अजमेर दरगाह से समाज के हर वर्ग के लोगों का जुड़ाव है। संतों, पीरों, सूफियों, औलियाओं ने प्राचीनकाल से देशवासियों को एकजुट कर उन्हें सामूहिकता के साथ देश और समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने की सीख दी है। इस मौके पर दीनू मूरजानी, खान मोहम्मद, मोहन सिंह रावत, अनिल तेजवानी, अविनाश मूरजानी, ललित लौंगानी मौजूद रहे। खादिम फजले मोइन ने चादर पेश कराई व दस्तारबंदी की।
Ajmer Sharif Urs 2022
Published on:
08 Feb 2022 01:16 am
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