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 शल्य चिकित्सा का आधार आयुर्वेद, क्षारसूत्र चिकित्सा प्रक्रिया अतुलनीय

– पाइल्स व फिस्टुला का बिना ऑपरेशन स्थायी इलाज – जीवन शैली व खानपान से बीमारी पर अंकुश अजमेर.चिकित्सा विधि में ऐलोपेथी की लोकप्रियता भले ही बढ़ी हो लेकिन उपचार की विधियों में शामिल आयुर्वेद की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता। आयुर्वेद चिकित्सा का शल्य तंत्र आचार्य सुश्रुत संहिता पर बना है। शल्य […]

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अजमेर

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Dilip Sharma

Feb 15, 2025

ayurved 011

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- पाइल्स व फिस्टुला का बिना ऑपरेशन स्थायी इलाज

- जीवन शैली व खानपान से बीमारी पर अंकुश

अजमेर.चिकित्सा विधि में ऐलोपेथी की लोकप्रियता भले ही बढ़ी हो लेकिन उपचार की विधियों में शामिल आयुर्वेद की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता। आयुर्वेद चिकित्सा का शल्य तंत्र आचार्य सुश्रुत संहिता पर बना है। शल्य चिकित्सा के उपकरण इसी पद्धति से बने हैं। आयुर्वेद चिकित्सा का साइड इफेक्ट नहीं होता। बीमारी का भी स्थायी इलाज हो सकता। अर्श व भगंदर की चिकित्सा का उपचार बिना चीरफाड़ के केवल आयुर्वेद में संभव है। आजाद पार्क में आयुष विभाग की ओर से चल रहे संभाग स्तरीय आरोग्य मेले में आयुर्वेद चिकित्सक डॉ कमलेश कुमार पारीक से पत्रिका ने बातचीत की। मेला 17 फरवरी को संपन्न होगा।

डाॅ पारीक ने बताया कि आज ऑपरेशन की मूल विधि आयुर्वेद सुश्रुत संहिता पर निर्भर है जो आज भी विभिन्न चिकित्सा पद्धति में काम में ली जाती है। उन्होंने बताया कि पाइल्स व भगंदर का स्थायी इलाज आयुर्वेद में है।

आयुर्वेदिक दवाएं इसलिए महंगी

देशी व प्राकृतिक तत्वाें के साथ धातु का इस्तेमाल होता है यह सभी महंगे होते हैं। हींग,चंदन, औषधीय पादपों की घटती संख्या जैसे अर्जुन, आंवला, हरड़ आदि पौधे कम होने से इनकी कीमतें बढ़ गई हैं। इसी प्रकार आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में धातुओं का प्रयोग होता है। इसमें स्वर्ण,रजत, तांबा,अभ्रक आदि महंगे होते हें। इनकी भस्म तैयार करने में खासा खर्च आता है इसलिए दवाएं महंगी होती हैं।

आयुर्वेद में क्षार सूत्र (मेजिकल थ्रेड) से इलाजअर्श या पाइल्स

डॉ पारीक ने बताया कि अर्श या पाइल्स में रक्तस्त्राव होता है व शौच आदि के दौरान पीड़ा होती है। इसमें क्षार सूत्र प्रक्रिया से सात दिनों में ललाज कर दिया जाता है।भगंदर या फिस्टुलाइसमें नासूर या घाव हो जाता है, स्नही क्षीर, हल्दी व अपामार्ग क्षार ( सेम्यांर) धागे को बांधा जाता है जिससे घाव वाला हिस्सा बाहर आ जाता है। अंदर पुन: नई कोशिकाएं बन जाती हैं।

रोग के कारण

असामान्य जीवन शैली, कब्ज मिर्च मसाला युक्त या फास्ट फूड, आनुवांशिकक्या खाएं - समय पर भोजन, रेशे युक्त आहार, सलाद, मोटे अनाज।

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मेले का समापन कल

आयुर्वेद, योग प्राकृतिक यूनानी सिद्धा व होम्योपैथी आयुष विभाग की ओर से आजाद पार्क में चल रहे मेले का समापन 17 फरवरी को होगा। इसमें आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक, यूनानी सहित कई दवा कंपनियों की स्टॉल व प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें पंचकर्म, हड्डियों के रोग, हीमोग्लोबिन, बीपी आदि की जांचें भी की जा रही हैं। संबंधित चिकित्सक परामर्श दे रहे हैं।