
bar code on library books
नितिन कुमार शर्मा/ब्यावर
सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय की लाइब्रेरी में रखी किताबों की पहचान अब बारकोड के जरिए होगी। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सोअल की मदद से विद्यार्थी लाइब्रेरी में रखी किताबों के खजाने में से अपनी मनपसंद किताब आसानी से ढूंढ सकेगा।
कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी बनाने की कवायद में पहला चरण पूरा होने को है। इसके तहत करीब 18 हजार किताबों पर बारकोड लगाकर सॉफ्टवेयर में फीड करने का काम अंतिम चरण है। इसके बाद कॉलेज की किताबें व्यवस्थित हो जाएगी और विद्यार्थियों की जरूरत की किताब तुरंत उपलब्ध हो सकेगी।
पिछले दिनों निरीक्षण के लिए पहुंची नैक टीम ने लाइब्रेरी के डिजिटलाइजेशन को लेकर 1.5 लाख रुपए का बजट दिया था। इस बजट से 18 हजार किताबों को सॉफ्टवेयर में फीड करने का कार्य किया जा रहा है। अगले एक महीने में प्रथम चरण पूरा होने के बाद विद्यार्थियों को इस सुविधा का फायदा मिलने लगेगा।
किताब तलाशने में आसानी
वर्तमान में विद्यार्थियों को अपनी जरूरत की किताब ढूंढने के लिए लाइब्रेरी एक-एक किताब को देखना पड़ता है। लेकिन अब ऐसा नहीं करना होगा। लाइब्रेरी में एक सर्वर रूम होगा, जिसमें कंप्यूटर सिस्टम पर 'सोअलÓ सोफ्टवेयर में विषय या किताब के लेखक का नाम दर्ज करते ही संबंधित किताबों की सूची और किताब की लोकेशन कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएगी। विद्यार्थी खुद कंप्यूटर पर किताब को ढूंढ सकता है और किताब को अपने नाम आवंटित करवा सकेगा।
योजना के अगले चरण में विद्यार्थी लाइब्रेरी कार्ड को भी बारकोड के जरिए फीडिंग की सुविधा भी है। इसके बाद विद्यार्थी को आवंटित होने वाली किताबों का रिकार्ड भी ऑनलाइन हो जाएगा। फिलहाल बजट के अनुसार महज 18 हजार किताबें ऑनलाइन हुई है। पुस्तकालय कार्ड की फीडिंग का काम अगले चरण में किया जाएगा।
स्टॉफ की कमी
लाइब्रेरी को डिजिटल बनाने की योजना के लिए दिया गया बजट करीब 10 गुना तक कम है। विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने की इस योजना में स्टॉफ की कमी बड़ी समस्या है। कॉलेज लाइब्रेरी में करीब 1.12 लाख किताबें है। इनमें से फिलहाल 18 हजार किताबों को ऑनलाइन किया जाएगा।
सॉफ्टवेयर के जरिए किताबों का स्थान निर्धारण हो जाएगा, लेकिन व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो किताबों को वापस जमा करने के लिए प्रशिक्षित असिस्टेंट लाइब्रेरियन और बुक लिफ्टर की आवश्यकता होगी। जो कॉलेज में लंबे समय से नहीं है। ऐसे में आवंटित किताब को वापस जमा करने में काफी परेशानी आएगी। अगली बार विद्यार्थियों संबंधित पुस्तक ठिकाने पर मिलना मुश्किल होगा।
यूजीसी की योजना के तहत 18 हजार किताबों को ऑनलाइन किया है। बजट कम है और स्टॉफ भी कम है। योजना को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने के लिए समय लगेगा। करीब एक महीने में पहला चरण पूरा हो जाएगा।
अशोक टेलर, पुस्कालयाध्यक्ष एसडी कॉलेज
सोअल सॉफ्टवेयर यूजीसी का ऑथोराइज्ड सॉफ्टवेयर है। इसके जरिए किताबों को पीडीएफ फोरमेट में ऑनलाइन भी किया जा सकता है। हमें केवल 18 हजार किताबों पर बारकोड लगाने और डाटा फीडिंग का काम मिला है।
अतुल मालवीय, आईआईटीएम कंप्यूटर भोपाल
Published on:
21 Nov 2017 04:49 pm
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