यहां मेयो कॉलेज के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में शामिल होने आए भूटिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत में डूरंड कप, सुब्रोतो कप जैसी प्रतयोगिताओं ने कई दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं। आधुनिक दौर में फुटबॉल लीग से नौजवानों और खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन मिला है। फिर भी निचले स्तर पर फुटबॉल को प्रोत्साहन देने के लिए हमें काफी कामकाज की जरूरत है।
इसमें केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी अहम योगदान देना होगा। भारत के विश्व फुटबॉल कप (फीफा) में खेलने के सवाल पर भूटिया ने कहा कि फीफा तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की जरूरत है। धरातल पर फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए क्लब-लीग और ऐसी कई प्रतियोगिताएं होती रहनी चाहिए।
कुर्सी कोई संभाले, खेल बढऩा चाहिए विभिन्न राज्यों और केंद्र स्तर पर फुटबॉल और अन्य खेलकूद फैडरेशन में राजनेताओं की दखलंदाजी और कुर्सी पर काबिज होने के सवाल पर भूटिया ने कहा कि कुर्सी कोई भी संभाले लेकिन खेल बढऩा चाहिए। खिलाड़ी को केवल माकूल संसाधान, खेलकूद की पर्याप्त जगह, बेहतर माहौल चाहिए।
राजस्थान में भी अपार संभावनाएं भूटिया ने कहा कि राजस्थान में भी फुटबॉल के विकास की अपार संभावनाएं हैं। कई नामचीन स्कूल, कॉलेज ने फुटबॉल को बढ़ावा दिया है। यहां का फुटबॉल फैडरेशन भी सक्रिय है। यहां भी बंगाल की तरह व्यावसायिक टूर्नामेंट और क्लब बनाए जाएं तो फुटबॉल का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
कॅरियर में मेयो का अहम योगदान भूटिया ने छात्रों से कहा कि मेरे खेल जीवन के कॅरियर में मेयो का अहम योगदान है। वे ९० के दशक में यहां मेयो फुटबॉल टूर्नामेंट खेलने आते रहते थे। अंडर १६ वर्ग में यहां के तत्कालीन प्राचार्य प्रमोद शर्मा की वजह से खेलना संभव हुआ। उन्होंने मेयो में फुटबॉल के कई गुर सीखे। आगे प्रोफेशनल खिलाड़ी बनने पर उन्हें काफी मदद मिली।