
rain water on roads
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
शहर भले ही स्मार्ट सिटी बनने की मशक्कत में जुटा है, लेकिन यहां का ड्रेनेज सिस्टम फिलहाल तो स्मार्ट नहीं है। आरएसआरडीसी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, पीडब्ल्यूडी और अन्य महकमों की फौज के पास शहर की बदहाल ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारने का कोई समाधान नहीं है। बरसात के पानी को शहर की प्रमुख सड़कों-चौराहों पर भरने से रोकने की कोई तकनीक नहीं है। जबकि शहर में 40 साल पहले तक बड़े और छोटे नालों से पानी निकासी की कारगर व्यवस्था थी। हालांकि इनमें से कई अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं।
अजमेर जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है। कुल 5,550 एमसीएफटी में तीन हजार एमसीएफटी पानी ही झील-तालाब अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी सड़क, नाले-नालियों और खाली भूखंडों में पहुंचकर अनुपयोगी रह जाता है। चालीस साल में अजमेर का विकास और विस्तार तो हुआ लेकिन इससे शहर का ड्रेनेज सिस्टम चौपट हो गया। अब कुछ देर की ही तेज बरसात में प्रमुख सड़कें और चौराहे स्वीमिंग पूल बन जाते हैं और शहर ठहर जाता है।
1-राजकीय गल्र्स कॉलेज पर हालात
राजकीय गल्र्स कॉलेज-सिविल लाइंस के सामने तेज बरसात में पानी भरता है। यहां सड़क ही नजर नहीं आती। मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास लम्बा-चौड़ा नाला है। लेकिन ड्रेनेज सिस्टम खराब होने नाले से पानी की निकासी नहीं होती। यहां कोई वाहन फंस जाए तो निकलना मुश्किल है।
2-ऋषभायतन पर बनता तरणताल
वैशाली नगर-पुष्कर रोड और पेट्रोल पंप-ऋषभायतन के निकट पिछले 15 साल से सड़क पर बरसात का पानी उफनता है। यहां पहाड़, कॉलोनियों से उफनता पानी सीधा सड़क पर भरता है। वाहन और राहगीर पानी से नहीं निकल सकते। ड्रेनेज सिस्टम के अभाव में पानी आनासागर झील में भी नहीं पहुंच पाता।
3-स्टेशन रोड सबसे खस्ताहाल
स्टेशन रोड-मदार गेट, मार्टिंडल ब्रिज की तीसरी भुजा के नीचे बरसात का पानी घुटनों तक भरता है। आलम ऐसा की बरसात में यहां नौकायन हो सकता हैं। ब्रिटिशकाल में स्टेशन रोड से कचहरी रोड-तोपदड़ा तक पानी की निकासी के लिए बड़ा नाला बना हुआ था। यह ड्रेनेज सिस्टम दुकानों के नीचे दब चुका है। केसरगंज-पड़ाव इलाके का पानी मार्टिंडल ब्रिज के नीचे भरता है। यहां भी ड्रेनेज सिस्टम फेल है।
4-स्वीमिंग पूल हैं यह चौराहे
ऋषि घाटी, दरगाह बाजार-दिल्ली गेट से पानी उफनता हुआ गंज सर्किल पर भरता है। यहां सुभाष उद्यान तक तालाब बन जाता है। छोटा-बड़ा धड़ा नसियां, सुभाष उद्यान के आसपास चौड़ा नाला होने के बावजूद पानी में सड़क डूब जाती है। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज-अस्पताल के बीच भी स्वीमिंग पूल बनता है। यहां पटेल इंडोर स्टेडियम से सटकर नाला है, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम खराब हो चुका है।
दीपक उप्रेती ने चिह्नित किए थे स्पॉट
साल 2005 से 2007 तक अजमेर के संभागीय आयुक्त रहे दीपक उप्रेती ने शहर में बरसात का पानी एकत्रित होने की समस्या वाले 50 से ज्यादा स्पॉट चिह्नित किए थे। उन्होंने इन इलाकों में सड़कों की ऊंचाई बढ़ाने, खराब ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त कराने की योजना तैयार की थी। लेकिन उनकी रिपोर्ट और योजना कागजों से बाहर नहीं निकल पाई।
क्यों नहीं जाता इन उपायों पर ध्यान....
-राजकीय गल्र्स कॉलेज से सिविल लाइंस तक ऊंची करें सड़क
-गंज चौराहे से आनासागर झील तक चौड़ा ड्रेनेज सिस्टम
-मेडिकल कॉलेज-अस्पताल से तोपदड़ा नाले तक ड्रेनेज लाइन
-वैशाली नगर-ऋषभायतन पर ड्रेनेज लाइन और सड़क की बढ़े ऊंचाई
-स्टेशन रोड से कचहरी रोड तक पुराने ड्रेनेज सिस्टम हो दुरुस्त
जिन सड़कों पर पानी भरता है, वह लो-लाइन एरिया हैं। निश्चित तौर पर यहां सड़कों को अपग्रेड करना जरूरी है। इसके अलावा उन क्षेत्रों का ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करना जरूरी है। तभी पानी की निकासी त्वरित हो सकती है।
ओ. पी. डींडवाल, अधिशाषी अभियंता (सिविल) नगर निगम
किसी भी शहर में सड़कों पर पानी भरने का सीधा अभिप्राय खराब ड्रेनेज प्रणाली से होता है। अजमेर में ड्रेनेज सिस्टम गड़बड़ा चुका है। वैशाली नगर, सिविल लाइंस, स्टेशन रोड या जिन इलाकों में सड़कें असमतल हैं, उनकी ऊंचाई बढ़ाने के अलावा बड़े ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। इसके अलावा घरों और सार्वजनिक स्थानों पर पानी बचाने के लिए भूमिगत टैंक बनेंगे तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकेगा।
प्रो. प्रवीण माथुरपर्यावरण विभागाध्यक्ष मदस विवि
Published on:
23 May 2021 08:49 am
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
