
student busy in lock down
अजमेर.
देश में लॉकडाउन से स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिक्षण व्यवस्थाएं ठप हैं। लेकिन बीते 48 दिन में कई विद्यार्थियों और युवाओं की दिनचर्या बदल गई है। सोशल मीडिया को पढ़ाई का प्लेटफॉर्म बनाने, ऑनलाइन गेम और चैटिंग से लेकर रचनात्मक कार्यों में उनकी रुचि बढ़ रही है।
लॉकडाउन के चलते देशभर में कॉलेज-यूनिवर्सिटी और बोर्ड की परीक्षाएं-पढ़ाई नहीं हो रही है। युवाओं और विद्यार्थियों ने खुद ही घरों को लर्निंग और स्किल सेंटर में तब्दील कर लिया है। इनमें केजी से स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर तक विद्यार्थी शामिल हैं। विद्यार्थियों और युवाओं के लिए ऑनलाइन लर्निंग, वर्चुअल क्लासरूम, ई-कंटेंट-वीडियो मददगार साबित हो रहे हैं।
ऑनलाइन गेम-चैटिंग से संपर्क में
मोबाइल के कारण स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी हाईटेक हैं। विभिन्न एप डाउनलोड कर वे ऑनलाइन गेम खेलने के साथ-साथ चैटिंग कर रहे हैं। आसपास रहने वाले दोस्तों और सीनियर्स से पढऩे के लिए पुरानी किताबें और मैग्जीन भीली हैं।
रचनात्मक कार्य में बढ़ा रुझान
मयूर स्कूल में पढ़ रही आस्था, अनन्या, सेंट स्टीवंज में पढ़ रहे सैमसन, पार्थ और अन्य विद्यार्थियों का रुझान रचनात्मक कार्यों में बढ़ रहा है। वे पैंसिल स्केच, पेपर डेकोरेशन, रंगीन कागज से सुंदर लिफाफे बनाने, पुरानी वस्तुओं के इस्तेमाल से उपयोगी सामान बनाने में व्यस्त हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ऑनलाइन मास्क, शो यॉर टेलेंट प्रतियोगिता आयोजित की है।
लॉक डाउन के कारण स्कूल-कॉलेज बंद हैं। एबीवीपी ने विद्यार्धियों में रचनात्मक बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता प्रारंभ की है। इससे स्कूली बच्चे और युवा समय का सदुपयोग कर सकेंगे।
आशूराम डूकिया, महानगर मंत्री एबीवीपी
विद्यार्थी ई-कंटेंट, ऑनलाइन लेक्चर से पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। इंटरनेट पर ढेरों विकल्प हैं। स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी इनका सकारात्मक उपयोग करें तो फायदा मिलेगा।
प्रो. सुभाष चंद्र, जूलॉजी विभागाध्यक्ष मदस विश्वविद्यालय
कोरोना की जगह यूं दिखेगा धरती पर हरा रंग
रक्तिम तिवारी/अजमेर. दुनिया में कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। देश में लॉकडाउन है। लेकिन वन विभाग की नर्सरियों में फल-पुष्प और छायादार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। मानसून भले अभी दूर है पर विभाग समय रहते तैयाारियों में जुटा है।
वन विभाग प्रतिवर्ष मानसून सक्रिय होने पर जिले में फलदार, छायादार और पुष्पीय पौधे लगाता है। यह कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट-गाइड, सरकारी महकमों, शैक्षिक संस्थाओं के जरिए होता है। इसके लिए अजमेर, ब्यावर, खरवा, पुष्कर और अन्य नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं।
Published on:
12 May 2020 09:05 am
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