
dayanand research chair in problem
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में ऋषि दयानंद से सम्बद्ध शोध पीठ का अता-पता नहीं है। सात महीने से प्रस्ताव कागजों में घूम रहा है। ना यूजीसी ना विश्वविद्यालय स्तर पर शोध पीठ का काम शुरू हो गया पाया है।
पिछले साल कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने महर्षि दयानंद सरस्वती पर शोध पीठ स्थापित करने का आग्रह किया था इस पर कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा।
बीते 1 अक्टूबर को यूजीसी ने इसे मंजूरी प्रदान की। इसके बाद सात महीने से शोध पीठ कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है।
विवि को देने हैं 1 करोड़ रुपए
ऋषि दयानंद सरस्वती शोध पीठ के लिए विश्वविद्यालय को 1 करोड़ रुपए देने हैं। प्रस्ताव और राशि पर किसी भी स्तर की बातचीत नहीं हुई है। ऐसा तब है जबकि सत्र 2017-18 में शोध पीठ में विभिन्न पाठ्यक्रम और शोध कार्य प्रारंभ होने हैं। यहां चलने वाले कोर्स, व्याख्यान, शोध विषयों और अन्य गतिविधियों पर फिलहाल संशय की स्थिति है। यूजीसी ने भी मंजूरी के बाद प्रस्ताव पर चर्चा नहीं की है।
अजमेर से अहम जुड़ाव
ऋषि दयानंद सरस्वती का अजमेर से अहम जुड़ाव रहा। आगरा गेट-जयपुर रोड स्थित भिनाय कोठी में 1883 में उनका निर्वाण हुआ। उनका अंतिम संस्कार भी अजमेर में किया गया।
आनासागर स्थित ऋषि उद्यान में प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है। ऋषि दयानंद के नाम से कॉलेज, स्कूल और विश्वविद्यालय है। ऋषि दयानंद ने पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर में बैठकर वेदों का भाष्य भी तैयार किया था। उन्होंने देश-विदेश में वैदिक संस्कृति और वेदों का गुणानुवाद किया।
Published on:
05 May 2017 10:41 am
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