21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र की हदबंदी जरूरी, नहीं तो बाढ़ का खतरा

जिला कलक्टर को भेजा पत्र बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र की हदबंदी या चैनेलाइज नहीं किया गया तो बारिश में यह पानी आस-पास फैल सकता है, जिससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा हो सकता है।

2 min read
Google source verification

अजमेर

image

Dilip Sharma

Jul 28, 2023

,

बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र की हदबंदी जरूरी, नहीं तो बाढ़ का खतरा,बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र की हदबंदी जरूरी, नहीं तो बाढ़ का खतरा

अजमेर. बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र की हदबंदी या चैनेलाइज नहीं किया गया तो बारिश में यह पानी आस-पास फैल सकता है, जिससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा हो सकता है। नदी का बहाव क्षेत्र ग्राम पंचायत हाथीखेड़ा, बोराज व थोक तेलियान की भूमि के खसरे में आते हैं। इसमें ग्राम पंचायत बोराज व हाथीखेड़ा के शेष क्षेत्र को चैनेलाइज करने पर पानी के भराव पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

भारतीय पब्लिक लेबर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल साहू ने जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित को पत्र प्रेषित कर बांडी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र को चैलेनाइज कराने की मांग दोहराई है। पत्र में बताया गया कि कई साल पहले एडीए ने थोक तेलियान की भूमि को ज्ञान विहार के आगे तक चैनेलाइज किया है, लेकिन ग्राम पंचायत बोराज व हाथीखेड़ा के खसरे को चैनेलाइज नहीं किया। इससे इन क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ का खतरा बना रहता है। पत्र में जिला कलक्टर से उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की है।

रोगी वाहनों के लिए प्रीपेड सिस्टम लागू करें
अजमेर. आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने मरीजों के हितों के मद्देनजर जिला कलक्टर को पत्र लिखकर रोगी वाहनों के किराए के संबंध में प्री-पेड सिस्टम लागू करने का आग्रह किया है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद मरीजों को रोगी वाहन संचालकों की ओर से मनमाना किराया वसूली से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि अजमेर शहर एवं शहर के बाहर के रोगियों के लिए अधिकृत रोगी वाहन संचालकों एवं चिकित्सा विभाग के कार्मिकों की मिलीभगत से रोगियों के परिजन से मनमानी दरें वसूली करने के बारे में अवगत कराया गया है। इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर एक ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित कराएं, जिसमें किसी पक्ष का अहित ना हो व रोगियों को सुविधाजनक रोगी वाहन उपलब्ध हो सके।