
अजमेर. जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में नवजात बालिका का शव लेने पहुंचा परिजन व मौजूद पुलिसकर्मी। फोटो पत्रिका
Ajmer News : अजमेर. कल्पना चावला, मैरी कॉम, साक्षी मलिक, मिताली राज सरीखी सैकड़ों बेटियों ने न केवल अपने माता-पिता बल्कि देश का नाम रोशन किया लेकिन आज भी समाज में कुछ लोग बेटी को चाहत नहीं, मजबूरी समझ रहे हैं। इसी सोच की कीमत किशनगढ़ में जन्मी नवजात को जान देकर चुकाना पड़ी। जन्म के महज 26 घंटे बाद दम तोड़ने वाली बच्ची केवल मेडिकल केस नहीं, बल्कि बेटे की चाहत में दबी एक मां की बेबसी और व्यवस्था की असंवेदनशीलता की जीती-जागती तस्वीर है।
राजस्थान पत्रिका के 20 दिसंबर के अंक में ‘जीते जी किसी ने नहीं अपनाया, मौत के बाद भी तरस नहीं आया’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद मदनगंज थाना पुलिस सक्रिय हुई तो मामले की परत दर परत खुलती चली गईं।
45 वर्षीय महिला पहले से 6 बेटियों की मां निकली। बेटे की उ्मीद में 7वीं बार गर्भवती हुई तो परिवार को लगा कि अबकी बार घर में ‘चिराग’ आएगा, लेकिन जब फिर से बेटी पैदा हुई तो उन्हें यह रास नहीं आया। महिला का पति कुछ दिन पहले सड़क हादसे में घायल हो चुका है, आर्थिक हालात कमजोर होने और समाज का दबाव लगातार बढ़ता रहा। ऐसे में 7वीं बेटी के जन्म पर मां को परिस्थितियों के आगे हार माननी पड़ी। आखिर शनिवार को मदनगंज थाने के हैडकांस्टेबल भंवर सिंह ने नवजात का शव उसके ताऊ को बिना पोस्टमार्टम के सुपुर्द किया। परिजन ने भी माना कि उनसे भूल हुई।
किशनगढ़ के निजी अस्पताल में बालिका को जन्म देने के बाद महिला उसे छोड़ चुपचाप चली गई। नियमानुसार नवजात को बाल कल्याण समिति या अधिकृत दत्तक केंद्र को सौंपा जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संवेदनशीलता और कानून दोनों को दरकिनार कर बच्ची को एक अन्य व्यक्ति को सौंप दिया गया। न कागज पूरे हुए, न प्रक्रिया। नवजात की मौत के बाद घटना से जुड़ा हर शख्स बेनकाब हो गया।
घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है। यह उस समाज का आइना है, जहां बेटी आज भी बोझ मानी जाती है। जहां मां की ममता भी हालात और सोच के नीचे दब जाती है। सवाल यह नहीं कि दोषी कौन है, सवाल यह है कि कब तक बेटे की चाहत में बेटियों की सांसें कुचली जाती रहेंगी?
मदनगंज थाना पुलिस ने बालिका के परिवार को ढूंढ लिया। महिला के पहले से 6 बेटियां हैं। वह उसे नहीं रखना चाहती थी। ऐसे में वह उसे अस्पताल के बाहर छोड़ गई। चिकित्सक ने नवजात को बिना कानूनी कार्रवाई सुपुर्द कर दिया जो कि गलत प्रक्रिया है। अनचाही संतान इधर-उधर छोडने के बजाए सीडब्ल्यूसी या पालना गृह को दें, ताकि उचित प्रक्रिया से दत्तक केन्द्र के जरिए दी जाए।
अंजली शर्मा, जिलाध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी, अजमेर
Published on:
21 Dec 2025 10:40 am
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