बाइक खरीदने के बाद उसने खुद के नाम से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया। इस दौरान गाड़ी को आरटीओ ऑफिस में भी सत्यापित कराया गया। रजिस्ट्रेशन को लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी की गई। 30 सितम्बर को बलराम के मोबाइल पर आरसी डिस्पैच होने का संदेश आया।
लेकिन कुछ दिन बाद घर पर आरसी आई तो उस पर किसी और का नाम लिखा था। जो आरसी बलराम के घर पहुंची उसका पता भी पुराने शहर का है। दोनों के वाहनों की संख्या और सीराज भी भिन्न है। लेकिन कर्मचारियों ने आरसी भेजते समय इस पर ध्यान नहीं दिया।
फिर कहां गई आरसी मामले में रोचक पहलू यह है कि बलराम चौधरी को तो किसी और की गाड़ी की आरसी मिल गई। लेकिन अब वह अपनी आरसी ढूंढ रहा है। गलत पता देने पर लाइसेंस और आरसी किए थे निरस्त
उल्लेखनीय है परिवहन विभाग ने गत दिनों डाक से लाइसेंस और आरसी भेजने की व्यवस्था शुरू की थी। इस दौरान गलत पते वाले आवेदकों के दस्तावेज निरस्त कर दिए गए। अब देखना यह है कि इस मामले में विभाग क्या करता है।
आरसी प्राप्त करने पर आपको बधाई वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर आपको बधाई, आरसी के साथ भेजे गए पत्र में लिखा है कि प्रक्रिया को सुगम सरल और पारदर्शी बनाने के लिए सीधे घर पर आरसी भेजी जा रही है। लेकिन लापरवाही ने कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए हैं।