डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ की यह 34 वीं (चौतीसवीं) कृति है तथा जीवन संगिनी विद्या सोमानी को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित है। विद्याजी स्वयं जीवनपर्यन्त लेखिका, प्रकाशक एवं समाजसेविका रही हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ का लेखन आशा, विश्वास, दिशा बोधयुक्त व अध्यात्म से ओतप्रोत रहा है। पुस्तक ‘चौराहे के तीन रास्ते’ उनकी 23 कहानियों को संग्रह है। हर एक कहानी सामान्य से लेकर खास व्यक्ति के जीवन से जुड़ी घटनाओं, पात्रों को रेखांकित करती है। कहानियों में मनोविश्लेषणात्मक एवं वास्तविकता स्पष्ट उभरती है तथा पाठक को कहानी अपनी-सी लगती है। पुस्तक की समीक्षा राजस्थानी लेखिका साहित्य संस्थानी जयपुर की सचिव डॉ सुषमा शर्मा ने की है। कहानी ‘हॉकर’ का लेखन, भाषा शैली , कथानक कुछ इस तरह है कि कहानी पढ़ते हुए पाठक यथार्थ से प्रतीत होता है और उसके मन मस्तिष्क में फिल्म की सी रील चलने लगती है।
उल्लेखनीय है कि डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ का लेखन आशा, विश्वास, दिशा बोधयुक्त व अध्यात्म से ओतप्रोत रहा है। पुस्तक ‘चौराहे के तीन रास्ते’ उनकी 23 कहानियों को संग्रह है। हर एक कहानी सामान्य से लेकर खास व्यक्ति के जीवन से जुड़ी घटनाओं, पात्रों को रेखांकित करती है। कहानियों में मनोविश्लेषणात्मक एवं वास्तविकता स्पष्ट उभरती है तथा पाठक को कहानी अपनी-सी लगती है। पुस्तक की समीक्षा राजस्थानी लेखिका साहित्य संस्थानी जयपुर की सचिव डॉ सुषमा शर्मा ने की है। कहानी ‘हॉकर’ का लेखन, भाषा शैली , कथानक कुछ इस तरह है कि कहानी पढ़ते हुए पाठक यथार्थ से प्रतीत होता है और उसके मन मस्तिष्क में फिल्म की सी रील चलने लगती है।