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Dog lover : जुनून की हद तक है इनका पैट डॉग से प्रेम

अजमेर में भी हैं सैकड़ों डॉग लवर्स, बुलेट, मोगली, मफिन और मटरू जैसे रख रखे हैं नाम

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Dog lover : जुनून की हद तक है इनका पैट डॉग से प्रेम

Dog lover : जुनून की हद तक है इनका पैट डॉग से प्रेम

दिनेश कुमार शर्मा

अजमेर.

पैट डॉग। नाम तो यही है इनका, लेकिन पालनहार इन्हें डॉग नहीं मानते। उनका कहना है कि ये उनके परिवार के सदस्य और जिंदगी का हिस्सा हैं। क्योंकि इनके बिना उन्हें जीवन में अधूरापन लगता है।

इनकी वफादारी और स्वामीभक्ति से प्रभावित होकर कोई 10 साल तो कुछ 30-40 साल से डॉग पाल रहे हैं। इनके पालन-पोषण में आने वाली दिक्कतों के सवाल पर उनका कहना है कि दिक्कत तो बच्चे पालने में भी होती है।

फिर बच्चों का भरोसा नहीं जरूरत पडऩे पर मुंह फेर लें, लेकिन पैट डॉग पर उन्हें विश्वास है कि जीवन के अंतिम पड़ाव तक यह साथ निभाएगा।

जुनून ऐसा कि सऊदी अरब से ले आईं अजमेर

अलखनंदा कॉलोनी निवासी वांछा शर्मा को पैट डॉग से इतना प्रेम है कि वे सऊदी अरब से उसे अजमेर ले आईं। इसके लिए उन्हें कागजी कार्यवाही के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी।

इस सब खानापूर्ति में उनका एक लाख तक रुपया भी खर्च हुआ। उन्होंने बताया कि बचपन से ही डॉग से लगाव रहा। अब भी उनके पास 4 डॉग हैं। इनमें बॉक्सर, पग, पामेलियन और मल्टीज शामिल है।

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इसमें मल्टीज को वे यूएई से लेकर आई हैं। उनके पति वहां नौकरी करते हैं। जब वे वहां 3 महीने के लिए रहने गईं तो यह पैट डॉग उनसे बहुत घुल-मिल गया। इसी लगाव के चलते वे उसे अजमेर तक ले आईं।

वे पिछले 25 साल में 10 से अधिक डॉग पाल चुकी हैं।

शौक ऐसा कि कीमत नहीं देखते

आदर्श नगर निवासी डॉ. रविदत्त मिश्रा को डॉग रखने का शौक इस हद तक है कि वे इसके लिए कीमत भी नहीं देखते। वे अब तक करीब 40 डॉग पाल चुके हैं। उन्होंने बताया कि पिता आर्मी में रहे, जबकि माताजी गृहिणी थीं।

बचपन से ही परिवार में डॉग पलते देखे। यही शौक बाद में जुनून बन गया। हालत यह हो गई कि एक बार घर में 17 डॉग एक साथ भी पाले हैं। वर्तमान में भी उनके पास 4 पैट डॉग हैं।

इनमें जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, बीगल और ब्रिटिश बुल्डॉग शामिल है। ब्रिटिश बुल्डॉग उन्होंने पंजाब से सवा लाख रुपए में खरीदा।

इनके नाम उन्होंने बुलेट, मोगली, मफिन और मटरू रखे हैं। इन सब कि नस्लें भले अलग हों, लेकिन अपनत्व व स्वामीभक्ति सब में समान होती है।

प्रभावित करता है अपनापन और स्वामी भक्ति

वैशाली नगर सागर विहार कॉलोनी निवासी मौली ने बताया कि डॉग का अपनापन और स्वामी भक्ति उन्हें प्रभावित करती है। परिस्थितियां कैसी भी हों, वे अपने मालिक का साथ कभी नहीं छोड़ते।

उनके पास अभी डेलमिशन नस्ल का डॉग है। इससे पहले भी उनके पास इसी नस्ल का डॉग 10 साल रहा है। उसकी मृत्यु के बाद उन्होंने इसी नस्ल का दूसरा डॉग पाला है, जो करीब डेढ़ साल से उनके पास है।

विल पावर करती है अट्रेक्ट

एलआईसी कॉलोनी निवासी रीना धमीजा ने बताया कि डॉग की विल पावर उन्हें आकर्षित करती है। यह अपने मालिक के लिए चोरों से भी भिड़ जाते हैं। उन्हें बचपन से डॉग से लगाव रहा।

उनके पास अभी जर्मन शेफर्ड और पामेलियन नस्ल के डॉग हैं। उनके यहां अभी तक करीब 14 डॉग रहे हैं।

उन्होंने बताया कि डॉग की एक खासियत यह भी है कि ये अपने मालिक को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते और किसी को पहुंचाने भी नहीं देते।

घर में दिया कुत्तों को आसरा

पंचशील निवासी और जेएलएन अस्पताल में कार्यरत डॉ. शालिनी घर में लावारिस कुत्तों को आसरा देकर उनकी देखभाल में जुटी हैं। उन्होंने बताया कि इंसान की तरह ही बीमार और लाचार कुत्तों को भी पीड़ा होती है, लेकिन वे किसी को इसे जाहिर नहीं कर पाते।

उनकी यह परेशानी उनसे देखी नहीं जाती और वे उन्हें राहत प्रदान करने के लिए जुट जाती हैं। वे करीब 15 साल से ऐसे कुत्तों की देखभाल कर रही हैं। वर्तमान में भी उनके पास इस तरह के 11 कुत्ते हैं।

इनमें 5 स्ट्रीट डॉग और 6 नस्ली कुत्ते हैं। उन्होंने बताया कि दुर्घटना में घायल, कीड़े पडऩे और बीमारी की हालत में कुत्ते को लोग उनके यहां छोड़ जाते हैं। उदयपुर और कोटा तक से लोग उनके यहां कुत्तों को छोड़कर गए हैं।

करंट की चपेट में आए उल्लू और नील गाय का पैर टूटने के बाद उन्होंने प्रशासन से मंजूरी लेकर इनका घर पर रखकर इलाज कराया और ठीक होने पर वन विभाग के सुपुर्द कर दिया।

... और ये हैं स्ट्रीट डॉग्स की पालनहार

जहां शहर में सैकड़ों लोग घर में डॉग रखकर उनके पालनहार बन रहे हैं, वहीं जयपुर रोड भोपों का बाड़ा निवासी मंजू शर्मा स्ट्रीट डॉग की पीड़ा हरने में जुटी हैं।

एसपीसी-जीसीए में अंग्रेजी की एसोसिएट प्रोफेसर मंजू शर्मा को कहीं किसी दुर्घटना में घायल या बीमार स्ट्रीट डॉग की सूचना मिलती है तो तुरंत पहुंच जाती हैं उसका इलाज कराने।

उपचार के दौरान उसके सही होने तक वे उसे अपने घर लाकर उसकी देखभाल भी करती हैं। उन्होंने बताया कि समाज ने बचपन में ही उन्हें दिव्यांग होने का अहसास करा दिया, लेकिन श्वान और पशुओं ने कभी उनके साथ अलग बर्ताव नहीं किया।

उन्हें हमेशा पशुओं से अपनत्व मिला, जिसे वे उनकी सेवा कर लौटा रही हैं। एक बार आर्मी के एक अफसर का डाबरमेन डॉग एग्रेसिव हो गया, जिसे वे साथ ले आईं। यह उनके पास उसकी मृत्यु होने तक 7 वर्ष तक रहा।

इसी तरह एक परिवार के शहर से बाहर जाने पर पैट डॉग को 15 दिन के लिए कमरे में बंद कर देने पर उन्होंने जाकर उसे खुलवाया। उसके हाथ-पैर टेडे हो गए, जिसे वे अपने साथ घर ले आईं।

इसके बाद वह भी 6 साल उनके पास रहा। वे अब तक 700 से अधिक श्वान समेत अन्य पशुओं का इलाज कराकर उन्हें राहत पहुंचा चुकी हैं।

अजमेर में यह हैं पहली पसंद

लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, डाबरमेन, स्पीड्स, सेंट बन्नाड, लासा एपसों, रोट विलेर, ग्रेट डेन, बॉक्सर, बुल डॉग, पामेलियन, साइबेरियन हसकी, फ्रेंच बुल्डॉग, ब्रिटिश बुल्डॉग आदि।

डॉग के लिए बाजार में उपलब्ध सामग्री

डॉग के गले के लिए जंजीर व बैल्ट, टाई, जूते, टी-शर्ट, कोट, फैंसी कॉलर समेत अन्य सामग्री दुकानों पर बिकती हैं। पैट डॉग को किसी डॉग शो में तैयार करने के लिए बाजार में 2 हजार से 10 हजार रुपए तक की सामग्री दुकानों पर उपलब्ध है।

पैट डॉग की खाद्य सामग्री

बाजार में दुकानों पर पैट डॉग्स के लिए कई प्रकार की खाद्य सामग्री उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें समय-समय पर कैल्शियम और मल्टी विटामिन भी दिया जाना जरूरी है।

यह नहीं करें

पशु चिकित्सकों का कहना है कि पैट डॉग को कम नहलाना चाहिए। इनके पसीना निकलने वाली ग्रंथी नहीं होती। ऐसे में इनके जल्दी गंदे होने की संभावना नहीं रहती। इसलिए उन्हें जल्दी-जल्दी नहीं नहलाकर ब्रश से साफ करते रहना चाहिए। अधिक नहलाने से उनकी आयु घटती है।

यह बहुत जरूरी

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पैट डॉग की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें

उनके टिक्स होने से बचाएं

समय-समय पर उनका टीकाकरण जरूर कराएं

पैट डॉग के लिए डी-वार्मिंग भी आवश्यक

आजादी दें, अधिक बंदिश में नहीं रखें

रोजाना थोड़ा बहुत घुमाने जरूर ले जाएं

शहर में हुए हैं डॉग शो

अजमेर में कई डॉग शो हो चुके हैं। डॉ. आर. डी. मिश्रा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2004 में दौलतबाग और इसके बाद 2010 में आजाद पार्क में डॉग शो किया। वे अब तक 7 डॉग शो आयोजित कर चुके हैं।

इसमें प्रदेशभर के अलावा दिल्ली, पंजाब व हरियाणा से 375 से 400 पैट डॉग ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि अजमेर में एक सर्वे के अनुसार 2004 में 8000 पैट डॉग और वर्तमान में 15000 के करीब पैट डॉग हैं।