- रक्षा के लिए बनी दीवार के नजर आ रहे अब अवशेष शहर का ऐतिहासिक परकोटा अनेकों युद्ध और आक्रमणों से शहर की रक्षा कर शहर की जनता को सुरक्षा प्रदान करता रहा। परकोटा नगर परिषद (अब निगम) की ओर से किराए पर देने के बाद उसकी कोई सार संभाल नहीं की गई।
अजमेर. शहर का ऐतिहासिक परकोटा अनेकों युद्ध और आक्रमणों से शहर की रक्षा कर शहर की जनता को सुरक्षा प्रदान करता रहा। परकोटा नगर परिषद (अब निगम) की ओर से किराए पर देने के बाद उसकी कोई सार संभाल नहीं की गई। यही नहीं उसका रिकॉर्ड भी समय-समय पर दुरुस्त नहीं किया गया। इससे यह ऐतिहासिक परकोटा अपना स्वरूप खोने लगा। आज इस प्राचीन धरोहर की मुंडेर निरंतर गिरती जा रही है। शहर के कई हिस्सों में इसके अवशेष देखे जा सकते हैं। जो अपनी मूल चौड़ाई व लंबाई से कहीं कम नजर आते हैं।लीज पर दिए हिस्से का मनमाना उपयोग
नगर निगम प्रशासन ने प्रारंभ में इसके आसपास की भूमि को लीज पर देकर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की। जिससे कि निगम की आय हो सके लेकिन बाद में निगम प्रशासन की कथित लापरवाही के चलते लोग इसका मनमाना प्रयोग करने लगे। अब यहां अतिक्रमण व अवैध कब्जे होने लगे हैं।1990 के बाद बिगड़ते गए हालात
क्षेत्र के पुराने जानकारों का कहना है कि अब से करीब तीस-पैंतीस साल पहले तक परकोटा पहाड़ी पर साफ नजर आता था। उस समय प्रशासन का भी भय था। इस कारण उस पर अपना कब्जा या स्वामित्व दिखाने में कामयाब नहीं हो पाए लेकिन धीरे-धीरे इस पर कब्जा जमाना शुरू हो गया।अब नजर आते अवशेष
परकोटा छिन्न-भिन्न होते हुए अवशेषों की गिनती में आ चुका है। कई भवन स्वामियों ने इस पर अवैध कब्जे कर इसकी बहुमूल्य संपदा को नष्ट कर अपने अधिकार में ले लिया और यहां तक की उक्त सिटी वॉल का नामोनिशान मिटाने में लगे हैं। अब इसके कुछ अवशेष नजर आते हैं।सिटीवॉल आबादी के बीच में आई
वर्तमान में पुराने शहर से बाहर की ओर शहर का विस्तार होने से परकोटा शहर के मध्य में आ गया। इस कारण इसके आसपास व्यावसायिक गतिविधियां विकसित हो गईं और जमीनों की कीमत को देखते हुए उस पर कब्जे होने लगे।
इनका कहना है...लोगों ने परकोटे यानी सिटीवाॅल पर अतिक्रमण कर लिए हैं। पुरातत्व विभाग ने नोटिस भी दिए लेकिन सब ठंडे बस्ते में गए। नियमानुसार ऐतिहासिक सिटी वॉल पर निर्माण नहीं हो सकते। लेकिन मिलीभगत से सब हो रहा है।
डा. सुरेश गर्ग, पूर्व राजस्व अधिकारी एवं आयुक्त नगर परिषद, अजमेर