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भांवता पेयजल प्रोजेक्ट में ही बनती थी बिजली

भांवता हैड वक्र्स में बिजली का भी होता था उत्पादन, बची बिजली विभाग को भी होती थी सप्लाई

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भांवता पेयजल प्रोजेक्ट में ही बनती थी बिजली

भांवता पेयजल प्रोजेक्ट में ही बनती थी बिजली

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. अंग्रेजों के जमाने में कंपनी की ओर से जिन प्रोजेक्ट को स्थापित किया उनमें बिजली आपूर्ति का भी पूरा ध्यान रखा गया। प्रोजेक्ट भले ही पेयजल सप्लाई का रहा हो, मगर वहां बिजली की सप्लाई कहां से होगी और कितनी चाहिए, का खास ध्यान रखा गया। आज भी ब्रिटिशकालीन प्रोजेक्ट की तर्ज पर नए प्रोजेक्ट में बिजली सहित तमाम व्यवस्थाएं अन्य एजेसिंयों के भरोसे करने की बजाय इनबिल्ट बनाने की दरकार है।
अजमेर से करीब 30 किमी दूर भांवता गांव में पेयजल योजना के लिए स्थापित किए गए हैड वक्र्स (वाटर पंप हाउस) के लिए बिजली का उत्पादन भी ब्रिटिश कंपनी की ओर से करने के लिए प्लांट तैयार किया गया। आज से 100 वर्ष पूर्व 1913 में जब पंप हाउस एवं 13 कुओं का निर्माण शुरू हुआ तो यहां पंप हाउस को संचालित करने के लिए भी बिजली उत्पादन का प्लांट स्थापित किया गया।

आज भी मौजूद है बॉयलर प्लांट व चिमनी

भांवता-मजीठियां में ब्रिटिश कंपनी की ओर से बॉयलर व बिजली उत्पादन के लिए स्थापित प्लांट में कोयले से बिजली का उत्पादन होता था। कोयले की आपूर्ति भी जिले के कई गांवों से करने के बाद रेल मार्ग से मंगवाया जाता था। जहां सराधना रेलवे लाइन के बाद मवेशियों पर लादकर कोयला भांवता पहुंचाया जाता था। स्थानीय स्तर पर भी कोयला का उत्पादन कर प्लांट संचालित होता था।

अधिक बिजली विभाग को देते थे

भांवता प्लांट पर उत्पादित बिजली में से पंप हाउस संचालन के अलावा शेष रही बिजली वापस बिजली विभाग को सप्लाई कर दी जाती थी। यहां बरसों तक कार्यरत रहे हैड फिटर तेजमल गुर्जर ने बताया कि बिजली उत्पादन पंप हाउस में होने से कभी भी पेयजल सप्लाई प्रभावित नहीं हुई। आज भी चिमनी, प्लांट एवं उपकरण आदि सुरक्षित हैं।


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