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कर्मचारी ने मिनी लैब स्थापित कर उपभोक्ताओं को दिलवाए वास्तविक यूनिट के बिल

1.21लाख यूनिट डेबिट करवाए अब 11 जिलों में लागू होगी व्यवस्थाअजमेर डिस्कॉम

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भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. अगर कुछ अच्छा करने की तमन्ना हो तो पद और संसाधन मायने नहीं रखते। कुछ एेसा ही कर दिखाया है अजमेर विद्युत वितरण निगम ajmer discom के सहायक अभियंता (ग्रामीण) झुंझुनूं कार्यालय के तकनीकी कर्मचारी Employee नरेश कुमार ने। नरेश ने निगम व उपभोक्ताओं को नुकसान से बचाने के लिए कार्यालय में स्वंय के स्तर पर ही एक मिनी लैब mini lab स्थापित की है। जहां उपखंडों में साइट से डीसी/ पीडीसी या डिफेक्टिव खाते से उतरे हुए बड़ी तादाद में विद्युत मीटरों की जांच की जाती है। बहुत से मामलों में इन मीटर्स की नो डिस्प्ले या अन्य कारणों से फाइनल रीडिंग कैप्चर नहीं की गई है। इस दौरान रीडिंग व डेटा निकालकर अन्तर यूनिट को डेबिट कर बिलिंग करवाई जा रही है इससे उपभोक्ताों को वास्तविक रीडिंग के बिल actual unit bills जारी हो रहे हैं। उपभोक्ता की संतुष्टी के लिए लैब में अपने डिफेक्टिव मीटर की रीडिंग को देखने के लिए नोटिस जारी बुलाया भी जाता है। तकनीकी कर्मचारी ने लैब के जरिए 1 लाख 21१ हजार 486 यूनिट डेबिट किए जिससे निगम को 7 लाख 73 हजार751 रूपए का राजस्व अर्जित हुआ। हाल ही झुंझुंनू में स्टोर निरीक्षण के लिए मुख्यालय से गए अधीक्षण अभियंता (आईएंडएस) एम.सी.बाल्दी ने तकनीकी कर्मचारी की मिनी लैब व इसके फायदे देखे तो इसकी जानकारी निगम के प्रबन्ध निदेशक को दी।
11 जिलों में लागू होगी व्यवस्था

निगम के तहत आने वाले अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुन, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़, डूंगरपुर, बासंवाड़ा तथा प्रतापगढ़ जिलों में डिफेक्टिव मीटर्स की रीडिंग कैप्चर करने व उचित कार्यवाही के बाद स्टोर मे जमा करवाने के लिए १९ जून तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अन्तर्गत सभी फील्ड ऑफिसर्स सहायक अभियंता स्तर पर समुचित व्यवस्था बनाकर इस प्रकार के सभी मीटर्स की रीडिंग हासिल करेंगें। यूनिट के अंतर को डेबिट कराकर बिलिंग साइकल के हिसाब से बिलिंग करवाई जाएगी इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भी भेजनी होगी। सभी जिलों के अधीक्षण अभियंता के प्रावेधिक सहायक इस अभियान के नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
खुद ही रिपेयर कर दिए 47 ट्रांसफार्मर

तकनीकी कर्मचारी नरेश ने ट्रांसफार्मर की कमी को दूर करने के लिए स्टोर में जमा करवाए गए खराब हुए ट्रांसफार्मरों की जांच करना भी शुरु कर दिया। नरेश ने 47 ट्रांसफार्मर को खुद ही रिपेयर कर दिया। यह पुन:उपभोक्ताओं के यहां लगा दिए गए। इससे उपभोक्ताओं को भी पेरशानी का सामना नहीं करना पड़ा और निगम को भी ट्रांसफार्मर रिपेयर पर खर्च होने वाली 7.50 लाख रुपए राशि बच गई।

इनका कहना है
तकनीकी कर्मचारी नरेश का यह कार्य सराहनीय एंव अनुकरणीय है। इससे निगम व उपभोक्ता दोनो का फायदा है। अब यह व्यवस्था पूरे डिस्कॉम में लागू की जा रही है।

वी.एस.भाटी,एमडी अजमेर डिस्कॉम

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