27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अंग्रेजों के जमाने के धोबीघाट पर आज भी धुलते है कपड़े

1857 लिखा है घाटों के सामने लगे पत्थरों पर, 100 से अधिक लोग नियमित रूप से धोते कपड़े

2 min read
Google source verification
अंग्रेजों के जमाने के धोबीघाट पर आज भी धुलते है कपड़े

अंग्रेजों के जमाने के धोबीघाट पर आज भी धुलते है कपड़े

हिमांशु धवल. अजमेर.

शहर के तोपदड़ा में अंग्रेजों के जमाने के धोबीघाट पर आज भी कपड़े धुलते हं। यह धोबी घाट अंग्रेजों के कपड़े धोने के लिए बनाया गया था। प्रत्येक कुंड के आगे एक पत्थर लगा हुआ है। इसमें 1857 लिखा हुआ है, लेकिन समय के साथ यह पत्थर भी घिसकर जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं।
ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों के कपड़े धोने के लिए तोपदड़ा का धोबी घाट बनाया गया था। इसके बाद आनासागर में कपड़े धोए जाने लगे। लेकिन समय के साथ कुछ वर्षो पहले आनासागर में कपड़ों की धुलाई बंद हो गई। अब सिर्फ तोपदड़ा स्थित धोबीघाट पर ही गंदे कपड़ों की धुलाई होती है। यहां पर शहरवासियों के कपड़ों की धुलाई होती है। तडक़े चार बजे से धुलाई का कार्य शुरू होता है जो देर रात्रि तक जारी रहता है।

फैक्ट फाइल

- 1857 में बना तोपदड़ा स्थित धोबीघाट

- 100 के करीब धोबी प्रतिदिन धोते हैं कपड़े

- 6000 परिवार जुड़े हैं कपड़े धुलाई कार्य से
आठ कुंड बने हैं यहां पर

धोबीघाट पर अंग्रेजों के समय के आठ कुंड बने हुए है। प्रत्येक कुंड के सामने शिलालेखनुमा पत्थर लगे हैं। इसमें अधिकांश पत्थर टूट गए हैं। शेष पत्थरों पर लिखा अब पढ़ाई में नहीं आता है। यहां पर प्रतिदिन हजारों लोगों के कपड़े धुलते हैं।
साफ-सफाई का अभाव

तोपदड़ा धोबी घाट के चहुंओर साफ-सफाई का अभाव है। यहां कपड़ों की धुलाई से निकलने वाले पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण वह आस-पास में एकत्र हो जाता है। नियमित सफाई भी नहीं होती है। इससे कारण लोगों को परेशानी होती है।
(फोटो) सुविधाओं का अभाव

शहर के तोपदड़ा स्थित चार चटाई विकास समिति धोबी महासंघ अध्यक्ष सोहनलाल ढिल्लीवाल ने बताया कि यहां पर पानी की समस्या है। बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। अंग्रेजों के समय से यहां पर कपड़े धोने का काम कर रहे हैं, लेकिन सुविधाएं नाममात्र की भी नहीं मिलती है।

REad More : अब कचरे को बेचकर कमाएंगे लाखों रुपए