पुलिस अधीक्षक (एसीबी अजमेर रेंज) राजीव पचार ने बताया कि अजमेर सेंट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली की शिकायत मिल रही थी। इसमें सजायाफ्ता बंदियों के साथ जेल के स्टाफ की मिलीभगत है। मुख्यालय के निर्देश पर एसीबी अजमेर रेंज की सात टीमों का गठन किया। इसमें जयपुर से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक शर्मा शामिल थे। एसीबी टीम ने अजमेर सेन्ट्रल जेल, अजमेर लौंगिया मोहल्ला व जयपुर में कार्रवाई अंजाम देते हुए 7 जनों को गिरफ्तार किया। इसमें जेल कर्मचारी संजयसिंह, कैसाराम, प्रधान बाना को अजमेर और अरुणसिंह चौहान को जयपुर से गिरफ्तार किया, जबकि पैरोल पर रिहा बंदी दीपक उर्फ सन्नी, उसके भाई सागर व पोलू को अजमेर के लौंगिया मोहल्ला से गिरफ्तार किया। वसूली के खेल में शामिल सजायाफ्ता कैदी सरवाड़ निवासी शैतानसिंह व उसके भाई रमेश सिंह को एसीबी प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार करेगी। हत्या के मामले में सजायाफ्ता कैदी शैतानसिंह जेल में लंगर प्रभारी है।
बीड़ी से स्पेशल खाने तक की सुविधा
एसपी पचार ने बताया कि बंदियों से जेल स्टाफ के साथ सजायाफ्ता बंदी सुविधा मुहैया कराने के नाम पर वसूली करते हैं। इसमें मोबाइल फोन, स्पेशल खाना, बीड़ी, सिगरेट जैसे व्यसन से जुड़ी सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा जेल की बैरक में दी जाने वाली प्रताडऩा व कामकाज के बदले भी सुविधा शुल्क वसूला जाता है।
डेढ़ सौ बंदियों से वसूली एसपी पचार ने बताया कि वसूली के खेल में लगे सजायाफ्ता बंदी हर महीने करीब 100 से 150 बंदियों से वसूली करते थे। यह आंकड़ा प्रतिमाह 20 से 25 लाख रुपए का है। वसूली के खेल में सुविधा शुल्क चाहने वाले बंदी अपने परिवार के जरिए बैंक खाते व बाहरी व्यक्ति तक सुविधा शुल्क पहुंचाते थे। इसका एक जगह कलेक्शन होने के बाद आपस में बंटवारा हो जाता था।
ढाई माह का रिकार्ड मिला
एसीबी की पड़ताल मे ढाई माह का रिकॉर्ड सामने आया है। इसमें करीब 50 लाख रुपए से ज्यादा का लेन-देन है। कुछ बैंक खातों के अलावा जेल से भी खाने-पीने का सामान, लेन-देन के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। एसीबी की तलाशी में 6 मोबाइल फोन जब्त भी किए गए हैं।