इसका कोई गम नहीं है। सेना में रहकर युद्ध, एनकाउंटर या किसी हादसे में जान गंवाने वाला शहीद ही कहलाएगा। फौजी का शव बुधवार को जैसे गी गांव पहुंचा। लोगों ने भारत जिन्दाबाद नारे लगाए। कोरोना के चलते शवयात्रा में अधिक लोग शरीक नहीं हो पाए। सैनिक सम्मान से फौजी रवीन्द्र सिंह का अन्तिम संस्कार कर दिया गया।
हर आंख नम,श्रद्धांजलि में शत-शत नमन इससे पूर्व सैैनिक का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा तो समूचे गांव में शोक की लहर छा गई। किसी के घर चूल्हा तक नहीं जला। हर आंख नम थी। सुुबह सात बजे लगभग नौ सेना के लेफ्टिनेट कर्नल अमित कुमार तथा जूनियर अधिकारी अरविन्द सिंह तथा कर्मानंद शर्मा सैनिक के पार्थिव शरीर को लेकर गांव में पहुंचे। अपने बेटे को तिरंगे में लिपटे देख मां बेसुध हो गई। पत्नी और बहन का रो-रोकर बुरा हाल रहा।
युवकों ने रविन्द्र सिंह जिन्दाबाद के नारे लगाए। शहीद को श्रद्धांजलि देने सादुलपुर व तारानगर सहित आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे। नौ सेना की ओर से शस्त्र झुकाकर सलामी दी। इस अवसर पर सांसद राहुल कस्वा, बसपा नेता मनोज न्यांगली, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सतीष गागड़वास, तारानगर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कृष्ण सहारण, भाजपा युवा मोर्चा के कृष्ण भाकर, भाजपा युवा नेता राकेष जांगिड़, निर्मल प्रजापत, वीरबहादुर सिंह राठौड़ उपस्थित रहे।
मृतक फौजी परिवार को अकेला ना छोड़ें सैनिक के पिता कप्तान सिंह राठौड़ ने कहा कि भाग्य के निर्णय को स्वीकार करना ही पड़ता है, लेकिन सेना जैसे क्षेत्र में काम करने वाले देश के युवाओं के साथ ऐसी घटना होने पर उनको शहीद का दर्जा देकर पीडि़त परिवार की सरकार मदद करनी चाहिए। ऐसे में युवाओं में सेना के प्रति मनोबल बढ़ता है।
मृतक सैनिक के भाई सुरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि रविन्द्र सिंह (28) नेवी में आईएनएस सरदार पटेल पोरबंदर गुजरात पर तैनात था। 24 जून को उसे जहरीले कीड़े ने काट लिया। इसके चलते उसकी मृत्यु हो गई थी। सैनिक रविन्द्र सिंह जुलाई 2011 में नौ सेना में भर्ती हुआ था। वह एक तीन वर्ष के पुत्र का पिता था।