
bhajan lal sharma
दिलीप शर्मा
राजस्थान के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में खुद के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाएंगे। इससे इन अस्पतालों से निकलने वाले बायो लिक्विड मेडिकल वेस्ट शहर के मुख्य सीवरेज से जाने से रोका जा सकेगा। इससे संक्रमण का खतरा कुछ हद तक कम हो पाएगा। अजमेर के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में 1.1 एमएलडी व जनाना अस्पताल में .4 एमएलडी के एसटीपी बनाने की कवायद शुरू कर हो गई है। जनाना अस्पताल में प्रथम दृष्टया 1200 मीटर लाइन डाली जा चुकी है। इसके निर्माण के लिए आरयूआईडीपी एजेन्सी को अधिकृत किया गया है। बायो मेडिकल वेस्ट में कई जीवाणु, वायरस आदि होते हें जो खुले में फेंके जाने से घातक बीमारी फैला सकते हैं। अस्पताल में विभिन्न गंभीर रोगों से जुड़े ऑपरेशन होते हैं इस दौरान बायो मेडिकल अपशिष्ट भी सीवरेज में पहुंच रहा है। यह सार्वजनिक नालियों में से होकर बाहर बीमारी फैलाते हैं।
एसटीपी बनने के बाद इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा। बायो वेस्ट का निस्तारण प्लांट पर करने के बाद शेष पानी का उपयोग परिसर में पौधों की सिंचाई व अन्य सफाई कार्य में लिया जा सकेगा।
एक वर्ष में तैयार हो जाएंगे एसटीपी - राकेश वरियानी
परियोजना प्रबंधक आरयूआईडीपी अजमेर राकेश वरियानी ने बताया कि प्रथम चरण में 48 करोड़ की लागत से जोधपुर, उदयपुर, कोटा, झालावाड़ व अजमेर के अस्पतालों में एसटीपी बनाए जाएंगे। इसमें अजमेर के दोनों एसटीपी पर 15.04 करोड़ रुपए व्यय होंगे। अजमेर के दोनों अस्पतालों के एसटीपी एक वर्ष के भीतर बन कर तैयार हो जाएंगे।
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Published on:
01 Jan 2024 11:48 am
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