चंद्रप्रकाश जोशी
अजमेर. जिले में पिछले दिनों हुई बेमौसम की बारिश और आधे घंटे की ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया है। गेहूं एवं जौ की फसल की बालियों से दानों को बिखेर दिया। पकी फसलों की बालियों से गेहूं एवं जौ के दाने खेतों में बिखर गए। खेतों में पानी भराव से पकी फसल को ऐसा भिगोया कि किसान दूसरे दिन भी सुखाने में जुटे रहे। सब्जियों के खेत पर फसलें चौपट हो गई। लौकी, कद्दू,खरबूज और तरबूज बेलों से कट गए, उन पर ओलों के जख्म ऐसे कि अब अधपके मंडी में बिक भी नहीं सकते।
अजमेर से करीब 30 किमी दूर नरवर एवं भवानीखेड़ा गांव में पत्रिका ने मंगलवार को खेतों में पहुंच कर जायजा लिया। किसानों की आंखों में बहते आंसू, चेहरे पर चिंता की लकीरें और सब कुछ लुट जाने से असहज किसानों की पीड़ा ने झकझोर दिया। किसानों की जुबानी उनकी परेशानी सुन हर किसी का दिल पसीज गया।
फोटो- पचास सालों में नहीं हुई ऐसी ओलावृष्टि… सब कुछ लुट गया
भवानीखेड़ी निवासी गोगाराम (62) अपनी पत्नी मंगेश के साथ पानी भरे खेत से मंगलवार को जौ के पूळों को निकाल कर सुखाने में जुटे रहे। ओलों से खराब हुई फसल को देख पत्नी फफक-फफक कर रो पड़ी तो काम करते गोगाराम ने उसे संभाला। उन्होंने बताया कि 50 सालों में उन्होंने ऐसी ओलावृष्टि नहीं देखी। खेत में फसलों की लावणी की की थी कि पौन घंटे तक ओलों से फसल खराब हो गई। परिवार में बेटा व बहू भी मजदूरी करती हैं। तीन बीघा की खेती से ही काम चलता है। 80 प्रतिशत फसल खराब हो गई। पत्नी मंगेश ने रोते हुए बताया कि क्यान खेती करां.. पूरी फसल खतम होगी… घर चलावां कै खेती करां…।
गेहूं के दाने बटोरने में जुटा रहा परिवार
भवानीखेड़ा निवासी रामदेव सिंह रावत और उनकी पत्नी सीता खेत में बिखने दाने चुगती रहीं। रामदेव ने बताया कि खेत में गेहूं की फसल खड़ी थी। ओलों की मार से बालियां बिखर गई। खेत में गेहूं के दाने-दाने बिखर गए। फसल पूरी तरह से तबाह हो गई। करीब तीन बीघा खेत में 9 हजार से अधिक रूपए खर्च कर पड़ोसी के कुएं से करीब 8 बार पानी पिलाया। ट्रेक्टर से खेत की हकाई के डीजल के पैसे भी अब नहीं मिलेंगे। सीता ने बताया कि उनके खेत में ना गिरदावरी के लिए कोई आया ना सर्वे करने आया।
सब्जियों पर ओलों की मार के निशान
भवानीखेडा में ही भगवानसिंह राठौड़ के करीब 15 बीघा के खेत में लहलहाती सब्जियों की फसल ओलावृष्टि से मर गई। बेल व पौधों पर कद्दू, तरबीज, खरबूज, लौकी, तुरई और करेला बिखर गए। बेलों से छिटक गए। लौकी व सब्जियों पर ओलों की मार के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। काश्त करने वाले पप्पू की आंखों में आंसू थे। उत्तर प्रदेश से काश्त करने वे नरवर में आए थे। अधपकी सब्जियां की खरीद भी मंडी में व्यापारी नहीं कर पाएंगें। राठौड़ के अनुसार करीब 5 से 6 लाख रुपए ड्रिप सिंचाई आदि पर खर्च कर पहली बार सब्जियों की खेती की और भारी ओलावृष्टि से फसल खराब हो गई।
ओलावृष्टि एवं प्रभावित क्षेत्र व किसान
3 किमी क्षेत्र में ओलावृष्टि
45 मिनट हुई ओलावृष्टि100 से अधिक किसानों की फसलों में नुकसान
400 बीघा से भी अधिक क्षेत्र में नुकसान20 लाख से अधिक सब्जियों में खराबे का अनुमान
30 लाख से अधिक गेहूं, जौ में नुकसान का अनुमान3 गांव (भवानीखेड़ा, नरवर, अरड़का का कुछ हिस्सा)
24 घंटे बाद भी ओलों की परत जमा रही
भवानीखेड़ा में सोमवार को दोपहर 3.30 बजे ओलावृष्टि के 24 घंटे बाद भी मंगलवार को ओलों की परतें भवानीखेड़ा के खेतों एवं स्कूल के पास जमा दिखाई दी।भेदभाव का आरोप
खराबे को लेकर अधिकांश किसानों की शिकायत रही कि स्थानीय अधिकारी (राजस्व विभाग) कुछ किसानों के खेतों में पहुंचे तो कइयों ने उपेक्षा का आरोप लगाया।