
gurunank dev in pushkar
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
गुरुनानक देव का प्रकाश उत्सव सोमवार को मनाया जा रहा है। वे सिख समुदाय के पहले गुरु कहलाते हैं। पुष्कर की पौराणिक महत्ता से गुरु नानक भी वाकिफ थे। आदिकाल में प्रजापिता ब्रह्माजी ने पुष्कर में सृष्टि की थी। सहस्र वर्ष पुराना पुष्कर देश का तीर्थगुरू कहलाता है। सिख समुदाय के प्रथम गुरू नानकदेव 1509 में तीर्थराज पुष्कर आए थे। वे जिस स्थान पर रुके उसे गुरुद्वारा सिंह सभा कहा जाता है। गुरुनानक ने पुष्कर सरोवर में डुबकी भी लगाई थी।
आए थे गुरु गोविंद सिंह भी...
नानक देव के बाद 1706 ई. में दसवें गुरु गोविंद सिंह पुष्कर आए थे। वे एक सप्ताह तक यहां रुके थे। तब गुरुद्वारा (तब गुरुनानक धर्मशाला) को 10 बीघा जमीन आवंटित की थी। संगमरमर के पत्थर से निर्मित गुरुद्वारा पुष्कर में प्रवेश करते वक्त दिखता है। इस गुरुद्वारे का 23 अक्टूबर 2005 को जीर्णोद्धार किया गया था। तब पंजाब और देश के विभिन्न हिस्सों से सिख समुदाय के धर्मगुरू और श्रद्धालुओं ने कार सेवा की थी।
मनाई गुरू नानक जयंती
अजमेर. पूज्य सिन्धी पंचायत के तत्वावधान गुरू नानक देव की जयंती मनाई गई। इस दौरान केक काटा गया। संयोजक अजयमेरू सेवा समिति के अध्यक्ष किशोर विधानी ने कहा कि गुरू नानकदेव ने परमात्मा हर स्थान और हर जीव में बताया। उनकी शिक्षाओं को अपनाने की जरूरत है। महासचिव रमेश लालवानी ने कहा कि गुरुनानक देव ने सभी जीवों को समान बताया। इस दौरान पुष्पा छतवानी, निर्मला हून्दलानी, चन्द्रा देवनानी, चतुर मूलचन्दानी, लक्ष्मणदास वाधवानी, लालचन्द आर्य और अन्य मौजूद थे।
Published on:
30 Nov 2020 09:55 am
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