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आखिर कब तक बहता रहेगा व्यर्थ पानी, फिर टूटी बीसलपुर पेयजल लाइन

लीकेज मरम्मत कार्य के चलते पानी की हुई बर्बादी, पहले हल्का लीकेज था जो बढ़कर बड़ा हो गया

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How long will the flowing water flow

आखिर कब तक बहता रहेगा व्यर्थ पानी, फिर टूटी बीसलपुर पेयजल लाइन

सरवाड़ (अजमेर). एक ओर क्षेत्र में पेयजल संकट कम नहीं हो रहा। दूसरी ओर बीसलपुर बांध की पेयजल लाइनें हर कभी टूट रही है। इससे कीमती पानी व्यर्थ बह रहा है। वैसे ही बीसलपुर बांध में पानी की कमी है। हर कभी लाइनें क्षतिग्रस्त होना आम हो गया है।

बघेरा, सरवाड़, केकड़ी, मेवदाकलां, कादेड़ा, सावर, भिनाय, नसीराबाद,बाघसूरी,अरांई,श्रीनगर सहित कई इलाकों में पाइप लाइनें टूटती रही है। शुक्रवार को सरवाड़ के भगवानपुरा मार्ग पर बीसलपुर पेयजल योजना की भिनाय जा रही ९०० एमएम की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। इसके चलते लाखों गैलन पानी की बर्बादी हो गई। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिलते ही विभाग के सहायक अभियंता सुरेन्द्र सिंह व भिनाय से उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे।

तेजी से उठा फव्वारा

तेजी से ऊटासुबह गणेश तालाब के सामने एकाएक प्रेशर से पाइप लाइन टूट गई। बाद में तेज गति से पानी बहा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार लाइन के क्षतिग्रस्त होने से शनिवार को होने वाली पेयजलापूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पाइप लाइन में पानी के भारी दबाव को कम करने के लिए लाइन में लगे वॉल्व खोल दिए, जिससे भारी मात्रा में पानी व्यर्थ बहना शुरू हो गया। एक स्थान पर पानी बहुत ऊंचे फव्वारे के रूप में बहता रहा। दूसरी ओर उपखंड परिसर में लगे वॉल्व को खोलने से पूरे दिन यहां पानी बहता रहा। जो तलैया जैसा बन गया।

पहले से था लीकेज

सरवाड़ से भिनाय जा रही इस पाइप लाइन में लंबे समय से लीकेज की समस्या बनी हुई है। पिछले कुछ दिनों से पाइप लाइन के वॉल्व में हल्का लीकेज होने से थोड़ा-थोड़ा पानी निकल रहा था। अधिकारियों के ध्यान नहीं देने से लीकेज बड़ा हो गया। लोगों का कहना था कि विभागीय अधिकारी लीकेज होते ही उसे ठीक नहीं करते। जब वह बड़ा हो जाता है, तब अधिकारियों की नींद उड़ती है। तब तक तो बहुत देर हो जाती है।

लीकेज को दूर करने के लिए फि र पाइप लाइन पूरी खाली करनी पड़ती है। एक ओर लोग पीने के पानी के संकट से जूझ रहे हैं। लोगों को ७२ घंटे के लंबे अंतराल से भी पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी हो रही है। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।