
ख़ेल संसाधनों और बेहतर कोच की सुविधा मिले तो केकड़ी में लौट सकता है खेलों के अतीत का गौरव
अजमेर/केकड़ी ( नीरज जैन ‘लोढ़ा’). ओलम्पिक खेलों में भारतीय खिलाडि़यों केप्रदर्शन से प्रभावित होकर कई युवा खेलों में भविष्य बनाना चाहते हैं, लेकिन केकड़ी के एकमात्र खेल मैदान की दुर्दशा के चलते क्षेत्र से नई खेल प्रतिभाएं सामने नहीं आ पा रही हैं।
केकड़ी के पटेल मैदान में हॉकी, खो-खो व कबड्डी जैसे खेलों में २०० से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने खेल कौशल संवार कर देश व दुनिया में कस्बे का नाम रोशन किया है। इसके बावजूद वर्तमान में यह मैदान अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इस मैदान पर राज्य स्तर के अनेक खिलाड़ी तैयार हो चुके हैं। केकड़ी को शारीरिक शिक्षकों की खान कहा जाता है। अजमेर जिले में केकड़ी को ‘खेल नगरी’ के रूप में जाना जाता है।
इन्होंने किया है केकड़ी का नाम रोशन
ओमप्रकाश अग्रवाल, किशोरीलाल यादव, रामनिवास सैन, राधामोहन शर्मा, हंसराज मेघवंशी, सत्यनारायण सैन व गुलाबचन्द मेघवंशी जैसे कई खिलाडिय़ों ने हॉकी में राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मंच पर परचम फहराया है। वहीं रईसा बेगम, सत्यनारायण चौधरी, अमरचन्द जाट व रणजीत गुर्जर आदि को खो-खो की शान समझा जाता है।
सूर्यांश चौधरी ने फुटबाल एवं त्रयांश चौधरी ने बास्केटबॉल में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। इलाके के खिलाडिय़ों को जूडो से जोडऩे में बिरदीचन्द वैष्णव ने विशेष योगदान दिया है। इनके अलावा सुभाष टांक, अरूण अग्रवाल, बुद्धिप्रकाश शर्मा, सुधीर सैन, भंवर नरेन्द्र सिंह, बबलू माली, दिलखुश चौधरी, मुकेश कुमार अहीर, अजीज मोहम्मद, महावीर साहू, हेमराज मेघवंशी, ताराचन्द जांगिड़, मोहनलाल जांगिड़, दुर्गेश सिंह, सतीश कुमार जांगिड़, रतन सिंह भाटी, महावीर सिंह भाटी व नीरज गदिया ने हॉकी, कमलेश अहीर, रोशन आरा, जहां आरा, आबिद अली, हरीश सागर, गजराज मेघवंशी, अशोक कुमार अहीर, केदार चौधरी, मुकेश चौधरी, फरीदा बानो, लोकेन्द्र सिंह, शिवराज जेतवाल, जितेन्द्र सिंह, अंकित कौशिक, मोहित शर्मा, मोहम्मद फारूख, सुरेन्द्र जैन, शकुन्तला सागर व चान्द मोहम्मद ने खो-खो एवं अनुज कुमार, महिपाल व अनुज शर्मा ने कबड्डी में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। केकड़ी में कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी निभाई, लेकिन गुमनामी के अंधेरे में रहे।
समर्पण से हासिल हुआ मुकाम
खिलाडिय़ों ने समर्पण किया तो प्रशिक्षकों ने भी उन्हें संवारने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। सुबह का समय हो या शाम का। यहां खिलाडिय़ों का जमावड़ा लगा ही रहता था। हालांकि अब भी जिनकी खेलों के प्रति दीवानगी है, वे तीन किलोमीटर दूर जाकर राजकीय महाविद्यालय के खेल मैदान में अभ्यास कर रहे हैं।
बारिश का पानी बना मुसीबत
पटेल मैदान की दुर्दशा उस दिन शुरू हुई, जब मास्टर कॉलोनी के समीप मकानों का निर्माण कार्य शुरू हुआ। उस समय पानी के निकास की व्यवस्था सही ढंग से नहीं होने से बारिश का पानी पटेल मैदान में होकर नाले में जाता था। शुरुआत में पटेल मैदान से बरसाती पानी थोड़ी देर में खाली हो जाता था, लेकिन धीरे-धीरे समस्या ने विकराल रूप धारण करना शुरू कर दिया। अब एक बार बारिश होने के बाद कई दिनों तक मैदान में पानी भरा रहता है। इससे खिलाड़ी नियमित अभ्यास कर खेल कौशल नहीं संवार पा रहे हैं।
पत्रिका व्यू
पटेल मैदान में पानी भरने की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए, जिससे नियमित अभ्यास करने वाले खिलाडिय़ों को परेशानी नहीं उठानी पड़े। पटेल मैदान के पास प्रस्तावित खेल स्टेडियम के निर्माण में तेजी लाई जाए। इसके अलावा केकड़ी में सर्वसुविधायुक्त इंडोर व आउटडोर स्टेडियम बनाया जाए। केकड़ी में खेल प्राधिकरण की स्थापना हो।
Published on:
07 Aug 2021 11:31 pm
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