राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राचीन संस्कृति, सामाजिक-उद्यमिता कौशल विकास और शैक्षिक नवाचार पर जोर दिया गया है। निश्चित तौर पर इससे छात्र-छात्राओं को कॅरिअर में लाभ हेागा।
महिलाओं ने देश में प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की की है। उनमें कुशल नेतृत्व, उद्यमिता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के गुण हैं। तीन दशक बाद पारित महिला आरक्षण बिल से उन्हें जल्द संसद और विधानसभा में बराबरी का हक मिलने वाला है। वह इसे ताकत बनाकर देश को विकसित बनाने में योगदान दे सकेंगी। यह बात उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को मेयो कॉलेज गल्र्स स्कूल के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में कही। समारोह में पद्मिनी हाउस को बेस्ट हाउस ट्रॉफी प्रदान की गई।
धनखड़ ने कहा कि शिक्षा, विज्ञान, आर्थिक-वाणिज्यिक क्षेत्र में देश में जबरदस्त तरक्की की है। चंद्रयान-3 की दक्षिण पोल पर लैंडिंग इसका परिचायक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राचीन संस्कृति, सामाजिक-उद्यमिता कौशल विकास और शैक्षिक नवाचार पर जोर दिया गया है। निश्चित तौर पर इससे छात्र-छात्राओं को कॅरिअर में लाभ हेागा। खासतौर पर महिलाओं को आत्मनिर्भर, उन्नत और सामाजिक तौर मजबूत बनान में सहायक होगी।
स्कूल की रिपोर्ट पेश
मेयो कॉलेज गवर्निंग कौंसिल के अध्यक्ष गजसिंह और वी.पी.सिंह बदनौर ने स्वागत किया। प्राचार्य सुप्रीत बख्शी ने रिपोर्ट पेश की।
शिक्षा ही बदलाव का माध्यम
धनखड़ ने कहा कि जीवन में शिक्षा ही बदलाव का माध्यम है। शिक्षा हमें अनुशासित, सुसंस्कृत, विनयशील, ज्ञानशील बनाती है। जब हम कॅरिअर बनाकर किसी भी क्षेत्र में जाते हैं, तो शिक्षा ही पहचान होती है। भारत को नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों, ज्ञान-विज्ञान के बूते विश्व गुरु कहा जाता रहा है। युवाओं-छात्राओं के प्रयासों से 2047 में देश विकसित, उन्नत, शिक्षित और प्रगतिशील बन सकता है। इससे पहले धनखड़ ने स्कूल में पौधरोपण किया। उन्हें अश्व दल परम्परानुसार स्कूल लेकर पहुंचा।