राजस्थान पत्रिका के 7 जून के अंक में ‘तो क्या… पाकिस्तान से कभी नहीं लौट पाएगा अजमेर का जयसिंह? शीर्षक से प्रकाशित खबर पर गुरुवार को जिला पुलिस समेत सीआईडी जोन कार्यालय में हड़कम्प मचा रहा। पुलिस कप्तान राजेन्द्र सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मार्च में मिली सूचना के आधार पर अजमेर बारां कोटा बाबरी मस्जिद के पते के आधार पर जयसिंह की पुन: तलाश करने के आदेश दिए।
नहीं है बाबरी मस्जिद! प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि अजमेर में मौजूदा स्थिति में बाबरी मस्जिद नहीं है न ही मुस्लिम बहुल दरगाह क्षेत्र में कोई जयसिंह नामक व्यक्ति की गुमशुदगी दर्ज है। लेकिन पुलिस ने 40 से 50 साल पहले की परिस्थितियों व मोहल्ले के नाम और वहां रहने वाले लोगों के संबंध में पड़ताल कर रही है। जिला विशेष शाखा, सीआईडी जोन के टीम ने शुक्रवार को भी कई क्षेत्रों में पूछताछ की। लेकिन खास सफलता हासिल नहीं हुई है।
इधर, जगी उम्मीद
पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर सक्रिय हुई जिला विशेष शाखा के समक्ष गुरुवार को तीन परिवारों के लोग सामने आए है। उन्होंने सालों पहले लापता हुए चौरसियावास के मोहन पुत्र छीतर, अल्लाबख्श पुत्र रसूल, काना पुत्र खूमसिंह के संबंध में जानकारी दी। डीएसबी शाखा के पास जयसिंह की तस्वीर नहीं होने से पहचान नहीं हो सकी।
पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर सक्रिय हुई जिला विशेष शाखा के समक्ष गुरुवार को तीन परिवारों के लोग सामने आए है। उन्होंने सालों पहले लापता हुए चौरसियावास के मोहन पुत्र छीतर, अल्लाबख्श पुत्र रसूल, काना पुत्र खूमसिंह के संबंध में जानकारी दी। डीएसबी शाखा के पास जयसिंह की तस्वीर नहीं होने से पहचान नहीं हो सकी।
मुख्यालय से मिली सूचना में पाक जेल में कैद जयसिंह का पता पूर्ण नहीं था। वहीं कोई गुमशुदगी भी नहीं है। नए सिरे से बताए गए पते पर जयसिंह के परिजन की तलाश की जा रही है।
-राजेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक अजमेर
-राजेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक अजमेर