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ब्यावर के अमृतकौर चिकित्सालय में मरीजों को कतार में इंतजार से कब मिलेगी निजात!

रोगियों के बैठने की नहीं समुचित व्यवस्था,चिकित्सकों का भी अभाव, ब्यावर से से सटे पाली व राजसमंद जिले के गांवों के रोगी भी आते हैं इस अस्पताल में

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Lack of facilities for patients in Beawar Hospital

ब्यावर के राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में रोगियों की लगी कतार

अजमेर. ब्यावर के सरकारी अस्पताल में समस्या कम होने का नाम ही नहीं ले रही। यहां वैसे ही चिकित्सकों सहित कई कर्मचारियों के रिक्त पद पड़े हैं। इसके चलते रोगियों को चिकित्सक कक्ष, रोगी पर्ची काउंटर, दवा व जांच काउंटर सहित अन्य जगह कतार में खड़े रहकर प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

यह समस्या बरसों पुरानी है। इसका समाधान आज तक नहीं हुआ। ब्यावर शहर के सबसे बड़े राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में कतार की परेशानी से मरीजों को निजात नहीं मिल रही। मरीज को जहां चिकित्सक आराम करने की सलाह देते है, वहीं ब्यावर के अस्पताल में रोगी को कतार में घटों खड़ा रहना पड़ रहा है।

यहां पर कतार तो लगती है, लेकिन फर्श पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना मरीजों की मजबूरी बन गई है। यहां पर मरीजों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

आउटडोर डेढ़ हजार के पार

गौरतलब है कि ब्यावर का अस्पताल आसपास के जिलों से सटा हुआ है। यहां पर दूर दराज के मरीज आते हैं। वर्तमान में यहां का आउटडोर का आंकड़ा भी डेढ़ हजार से ऊपर है। एेसे में हर जगह कतार लगी रहती है। पहले मरीज को पर्ची लेने के लिए काउंटर पर खड़ा होना पड़ता है। उसके बाद परामर्श के लिए चिकित्सक कक्ष के बाहर। फिर अगर दवा लिखी है तो दवा काउन्टर और जांच लिखी है तो जांच काउन्टर के बाहर खड़ा होना पड़ेगा।

जांच टीम आई तो टूटी कुर्सियां हटाई

तीन दिन पहले केन्द्रीय टीम के तीन सदस्यों ने अस्पताल का दौरा किया था। इस दौरान मदर चाइल्ड विंग में पड़ी टूटी हुई अधिकतर कुर्सियांं हटा दी गई। टीम को बताया गया कि यहां कुर्सियां तो लगाई गई है, लेकिन मरम्मत के लिए भेजी गई है। बाद में यह कुर्सियां न तो वापस मंगवाई और न ही इनकी जगह नई कुर्सियां लगाई।

अस्पताल में जहां पर बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई है, वह भी पर्याप्त नहीं है। पुराने भवन में आउडडोर चलता है और यहां पर चिकित्सक कक्ष के बाहर मरीजों की कतार लगी रहती है। यहां पर कक्ष के बाहर तीन चार मरीजों के लिए बैठने की व्यवस्था है, लेकिन यहां मरीजों की संख्या हर समय ज्यादा ही रहती है। चन्द्रवीर सिंह नर्सिंग अधीक्षक, मदर चाइल्ड विंग, एकेएच ब्यावर के अनुसार जो कुर्सियां टूटी हुई थी, उनको हटाकर मरम्मत के लिए भेजा है। मरम्मत होते ही वापस लगा दी जाएगी। वैसे अस्पताल में पत्थर की कुर्सियां लगाई जाए तो ज्यादा फायदेमंद होगी।


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