
law courses in rajasthan
अजमेर. प्रदेश लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष (first year admission) के प्रवेश पर ‘धुंध ’ छाई हुई है। मौजूदा सत्र के 31 दिन बीत चुके हैं। बार कौंसिल ऑफ इंडिया (bar council of india) की मंजूरी के बिना प्रवेश मुश्किल हैं। लेटलतीफी का खामियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं। बीते सत्र की तरह दाखिलों में विलम्ब होना तय है।
अजमेर सहित नागौर, सीकर, सिरोही, बूंदी और अन्य लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष के दाखिलों पर तलवार लटकी हुई है। सत्र 2019-20 के ढाई महीने यानि 30 दिन निकल चुके हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने हमेशा की तरह बार कौंसिल ऑफ इंडिया की मंजूरी के बिना प्रवेश नहीं करने की शर्त लगाई है। इससे कॉलेज और विद्यार्थी (students) परेशान हैं।
बीसीआई-सरकार आमने-सामने
शिक्षकों और संसाधनों की कमियां पूरा करने के लिए सरकार ने पिछले सत्र में बीसीआई को अंडर टेकिंग (under taking) दी थी। यह परेशानियां अब तक कायम हैं। कमियां पूरी हुए बिना बीसीआई प्रवेश की मंजूरी देने को तैयार नहीं है। हालांकि राजस्थान लोक सेवा आयोग के जरिए विधि शिक्षकों की भर्तियां हो चुकी हैं।
तीन साल की सम्बद्धता में रोड़े
बार कौंसिल ने विश्वविद्यालयों को सभी लॉ कॉलेज को एक के बजाय तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता (afflilliation) देने को कहा। फिर भी सरकार और विश्वविद्यालय कोई फैसला नहीं ले पाए हैं। जहां विश्वविद्यालय अपनी स्वायतत्ता (autonomy) छोडऩा नहीं चाहते। वहीं सरकार इस मुद्दे को कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच मानते हुए दूरी बनाए हुए है।
सुविधाओं का अभाव
यूजीसी के नियमानुसार किसी भी लॉ कॉलेज में मौजूदा वक्त पर्याप्त शिक्षक (law faculty) नहीं है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं नहीं हैं। विद्यार्थियों से विकास (development fee) और खेल शुल्क (sports fee) वसूला जाता है, पर उसका उपयोगिता नहीं दिख रही है।
फैक्ट फाइल
राज्य में सरकारी लॉ कॉलेज : 15
स्थापना : 2005-06
बीसीआई से स्थायी मान्यता: कई कॉलेज को नहीं
विद्यार्थियों की संख्या-करीब 15 हजार
Published on:
01 Aug 2019 07:44 am
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