बार कौंसिल ऑफ इंडिया प्रदेश के लॉ कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ, संसाधनों की कमी से वाकिफ है। कौंसिल प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के प्रवेश रोकता है। सरकार की अंडरटेकिंग, विश्वविद्यालयों के सम्बद्धता पत्र मिलने के बाद वह प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर तक दाखिलों की अनुमति देता है। सख्ती दिखावटी होती है। कॉलेजों में कमियां यथावत हैं।
दाखिलों में देरी और संसाधनों की कमी से विधि शिक्षा पर असर दिख रहा है। राज्य के15 लॉ कॉलेज हर साल वकीलों की फौज तैयार रहे हैं। अदालतों में फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। विद्यार्थियों को कॉलेज में अंग्रेजी लिखना-पढऩा नहीं सिखाया जाता। एलएलबी और एलएलएम कोर्स में अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी सिर्फ 1-2 प्रतिशत हैं।
-चिकित्सा, आयुर्वेद, उच्च शिक्षा की तरह लॉ शिक्षा का पृथक कैडर नहीं
-लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य पद सृजित नहीं
-यूजीसी के 12 एफ, 2 (बी) में कॉलेज पंजीकृत नहीं
-राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में नहीं मिलता बजट
-ऑनलाइन क्लास, ई-लेक्चर का अभाव
-विद्यार्थी को नहीं भेजते सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की कार्रवाई देखने
15 लॉ कॉलेज हैं प्रदेश में
125 व्याख्याता कार्यरत
5 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं लॉ कॉलेज में
14 साल से बीसीआई की मान्यता का इंतजार लॉ एज्यूकेशन में क्वालिटी बहुत जरूरी है। वक्त के अनुसार ई-लेक्चर, ऑनलाइन स्टडी बहुत जरूरी है। इससे युवाओं को लीगल एज्यूकेशन का सही फायदा मिलेगा। यूनिवर्सिटी सितंबर अंत तक सभी कॉलेज में प्रथम वर्ष के दाखिलों का कार्यक्रम तैयार करेगी। इसके अनुसार दाखिले होंगे।
प्रो. देवस्वरूप, कुलपति, डॉ.भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय