1 अगस्त 1987 को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में सारस्वत केंद्रीय पुस्तकालय (central library) बना हुआ है। यहां हिंदी,अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, साहित्य, विज्ञान, ललित कला, वाणिज्य, प्रबंधन और अन्य विषयों की नई एवं परानी पुस्तकें (books) संग्रहित हैं। दो मंजिला लाइब्रेरी में कई भाषाओं की पत्र-पत्रिकाएं आती हैं। यह इन्फ्लिबनेट के जरिए देश-दुनिया की विभिन्न लाइब्रेरी से जुड़ी हुई है।
विद्यार्थियों-शिक्षकों तक सीमित
सेंट्रल लाइब्रेरी का इस्तेमाल अभी कैंपस के विद्यार्थी (students) और शिक्षक (teachers) ही करते हैं। यह आठ-नौ घंटे से ज्यादा नहीं खुलती। जबकि राजस्थान विश्वविद्यालय, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर (mlsu), जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर (jnvu) सहित आईआईटी (IIT), आईआईएम (IIM)और दुनिया की अधिकांश उच्च, तकनीकी, चिकित्सा एवं अन्य संस्थानों में लाइब्रेरी 24 घंटे खुली रहती है। इनमें आमजन भी शाम अथवा रात्रि में बैठक किताबें पढ़ सकते हैं।
किया था प्रस्ताव तैयार पूर्व छात्रों की एल्यूमिनी (students alumini) ने साल 2017 में पूर्व कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह को विश्वविद्यलाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सेंट्रल लाइब्रेरी 24 घंटे खोलने का सुझाव दिया था। उन्होंने इस पर तत्काल सहमति जताई। दुर्भाग्य से दो साल में ना विश्वविद्यालय ना इसे सम्बद्ध कॉलेज के छात्र-छात्राओं, शहरवासियों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों ने संपर्क किया। पिछले दिनों छात्रसंघ पदाधिकारियों ने ज्ञापन देकर रात्रि 8 बजे तक लाइब्रेरी (pustakalya)खोलने की मांग की थी। बगैर कुलपति इस पर फैसला होना मुश्किल है।
बनाया है रीडिंग रूम योजना के तहत लाइब्रेरी की पुस्तकों को विभिन्न विधाओं के अनुसार जोन में बांटा जाना था। इसके तहत साहित्यकार, कला एवं संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, संगीत, उच्च-तकनीकी शिक्षा, जीवन दर्शन और अन्य जोन प्रस्तावित थे। ताकि संबंधित विषय की किताबें उसी जोन में आसानी से मिल सकेगी। अलबत्ता यहां वातानुकूलित रीडिंग रूम (reading room) जरूर बनाया गया है।
बंद पड़ा है बुक वल्र्ड
विश्वविद्यालय परिसर में आठ साल से बुक वल्र्ड (book world) बंद पड़ा है। वर्ष 2010-11 में राजस्थान विश्वविद्यालय की तर्ज पर इसे शुरू कराया गया था। यहां महात्मा गांधी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, अमत्र्य सेन, विक्रम सेठ, चेतन भगत और अन्य नामचीन लेखकों की पुस्तकें रखी गई। इसके बंद होने के पीछे भी नौजवानों और पाठकों की अरुचि है।