विश्वविद्यालय ने साल 2016 में विभागवार 22 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन मांगे थे। इनमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने सिर्फ जूलॉजी और बॉटनी विभाग में प्रोफेसर की भर्ती की है। जबकि 20 शिक्षकों की भर्ती के लिए साक्षात्कार होने हैं। कई विषयों में आवेदकनिर्धारित योग्यता में खरे नहीं उतरे हैं। पिछले साल तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली ने शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रयास शुरू किए थे पर जुलाई में उनका आकस्मिक निधन हो गया। तबसे मामला अटका हुआ है।
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मात्र 18 शिक्षकों का विश्वविद्यालयविश्वविद्याल मात्र 18 शिक्षकों के भरोसे संचालित है। इनमें से एक शिक्षक बीते साल अक्टूबर से निलंबित है। मौजूदा वक्त इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, कम्प्यूटर विज्ञान, जूलॉजी, बॉटनी विभाग में मात्र एक-एक शिक्षक हैं। जबकि पत्रकारिता, विधि, हिन्दी विभाग में तो शिक्षक भर्ती का मुर्हूत ही नहीं निकला है। सभी विभागों में गेस्ट फेकल्टी नहीं हों, तो नियमित कक्षाएं लगनी भी मुश्किल हैं।
इसीलिए पिछड़े ग्रेडिंग में
यूजीसी ने विश्वविद्यालय को बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की है। इसे ए या ए प्लस ग्रेडिंग नहीं मिलने की एकमात्र वजह शिक्षकों कमी है। नैक टीम ने विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती को जरूरी बताया है। शिक्षकों की कमी के चलते ही विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 1 हजार से 1200 तक सिमटी हुई है।
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