रक्तिम तिवारी/अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) महंगी दर पर परीक्षात्मक कार्य सौंपने की तैयारी में है। दिल्ली, बेंगलूरू और अन्य शहरों की सरकारी फर्म से संपर्क किया गया है। फर्में भी 8 से 10 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का भारी-भरकम खर्च बताकर अपना ‘घर’ भरने की ताक में है। इन फर्मों को काम सौंपा गया तो विद्यार्थियों-अभिभावकों की जेब पर बोझ बढऩा तय है।
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विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत नियमित और स्वपयंपाठी विद्यार्थियों की परीक्षाएं कराता है। इनके परीक्षा फार्म (exam form) ऑनलाइन भरवाए जाते हैं। प्रशासन अब तक निजी फर्म से ही परीक्षात्मक कार्य कराता रहा है। इनमें परीक्षा फार्म भरवाने सहित अन्य कार्य शामिल हैं। राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय सरकारी फर्मों से परीक्षा सहित सभी कार्य कराना चाहता है।
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फर्मों का भारी-भरकम खर्च
दिल्ली, बेंगलूरू, हैदराबाद और अन्य शहरों में कामकाज करने वाली सरकारी कंप्यूटर फर्मों (govt firms) ने परीक्षात्मक सहित दूसरे कार्यों का भारी-भरकम खर्चा बताया है। यह फर्म हाईटेक और कंप्यूटरीकृत कामकाज की एवज में 8 से 10 करोड़ रुपए मांग रही हैं। सीधे तौर पर फर्मों की नजर सरकारी रकम पर है। महंगी दर पर कार्य सौंपे जाने पर परीक्षा फार्म की फीस बढऩा भी तय है। हालांकि पिछले 12 साल से विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत परीक्षा शुल्क बढ़ा रहा है।
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निजी फर्में भी नहीं पीछे…
सरकारी फर्मों के भारी बजट को देखकर निजी फर्म (private firms)भी पीछे नहीं हैं। जो फर्में पिछले साल तक 2 से 3 करोड़ रुपए में परीक्षात्मक कार्य करती थीं, उन्होंने भी राशि 5 से 8 करोड़ रुपए तक बढ़ा दी है। कुछ निजी फर्म संचालकों ने तो सांसदों, मंत्रियों और उच्चाधिकारियों से विश्वविद्यालय में फोन भी कराए हैं। कुछेक ने तो सरकारी फर्म से बेहतर कामकाज, टेंडर में कम बोली की बातें भी कहीं है।
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तब भी हो गए थे फेल…
तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति अतुल शर्मा ने साल 2011-12 के परीक्षात्मक कार्य सरकारी फर्म से कराने की योजना बनाई थी। तबके विश्वविद्यालयों के अफसरों की आंतरिक मतभेद, सरकारी फर्मों से कामकाज का बोझ बढऩे और निजी फर्मों की तरफदारी जैसे तर्कों से यह योजना फेल हो गई। विश्वविद्यालय ने उस साल 20 दिसंबर के बाद ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरवाने शुरू किए थे।
राजभवन के निर्देशानुसार सरकारी फर्म से ही परीक्षात्मक और अन्य कार्य कराए जाने हैं। फर्मों की दरों और तकनीकी पहलुओं के लिए कमेटी बनाई गई है। वही इनका निस्तारण और फैसला करेगी।
प्रो. आर. पी. सिंह, कुलपति मदस विश्वविद्यालय