
prof r.p.singh
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह को आइकार्ड की जरूरत है। प्रशासन ने डीन छात्र कल्याण कार्यालय से कार्ड के लिए पूछा था, लेकिन कुलपति का आइकार्ड किसके आदेश और हस्ताक्षर से बने इसको लेकर सवाल उठ गए हैं।
कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की नियुक्ति बीते साल 6 अक्टूबर को हुई थी। चुनाव आचार संहिता के चलते उन्होंने तत्काल कार्यभार संभाल लिया था। इसके बाद प्रो. सिंह ने 8 से 10 अक्टूबर तक कामकाज किया। लक्ष्मीनारायण बैरवा की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर को कुलपति प्रो. सिंह के कामकाज करने पर रोक लगा दी।
कुलपति ने मांगा आइकार्ड
कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की तरफ से आइकार्ड (परिचय पत्र) बनाने की मांग उठी है। हालांकि यह मांग सीधे तौर पर कुलसचिव अथवा अन्य किसी अधिकारी के पास नहीं आई। कुलपति सचिवालय से डीन छात्र कल्याण कार्यालय में आइकार्ड बनाने को लेकर जानकारी मांगी की गई है। कार्ड क्यों और किस कार्य के लिए चाहिए इसका खुलासा नहीं किया गया है।
कुलपति होते हैं सर्वोच्च मुखिया
केंद्रीय अथवा राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में कुलपति पद गरिमापूर्ण रहा है। सीधे तौर पर कुलाधिपति (राज्यपाल) के बाद यह अहम पद माना जाता है। कुलपति ही विश्वविद्यालय के सर्वोच्च मुखिया होते हैं। कुलपति पदनाम ही देश-विदेश में उनकी पहचान समझी जाती है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के 31 साल के इतिहास में किसी कुलपति का पृथक से आइकार्ड नहीं बनाया गया है।
Published on:
06 Jun 2019 07:44 am
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