scriptस्टूडेंट्स को चाहिए नए कोर्स, दूसरे प्रदेश हैं राजस्थान से आगे | New courses not start in higher and technical institutes | Patrika News

स्टूडेंट्स को चाहिए नए कोर्स, दूसरे प्रदेश हैं राजस्थान से आगे

locationअजमेरPublished: Apr 19, 2019 06:04:53 am

Submitted by:

raktim tiwari

तकनीकी शिक्षा विभाग नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत के प्रति उदासीन है। जबकि देश के कई राज्य इस मामले में अग्रणीय हैं।

engineering courses

engineering courses

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

प्रदेश केइंजीनियरिंग कॉलेज नए पाठ्यक्रमों से काफी दूर हैं। रोजगार की अच्छे अवसरों के बाद भी यहां पारम्परिक कोर्स ही संचालित हैं। दूसरी ओर देश के अन्य प्रदेशों में वक्त और जरूरत के अनुसार नए कोर्स चलाए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को इससे फायदा भी मिल रहा है।
प्रदेश में सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 1 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं। यह विभिन्न तकीकी पाठ्यक्रमों में दाखिले लेते हैं। राज्य का तकनीकी शिक्षा विभाग नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत के प्रति उदासीन है। जबकि देश के कई राज्य इस मामले में अग्रणीय हैं। दूसरे प्रदेश में ऐसे तकनीकी पाठ्यक्रम संचालित हैं, जिनमें डिग्री लेकर विद्यार्थियों ने सरकारी नौकरी के अलावा खुद का उद्यम स्थापित किए हैं। राजस्थान में मांग के अनुरूप नए कोर्स-ब्रांच खोलने में रुचि कम है।
अन्य प्रदेशों में पाठ्यक्रम

प्रोस्थेटिक्स एन्ड ऑर्थेटिक्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी, सोलर एनर्जी, एन्वायरमेंट इन्फॉरमेटिक्स, कॉमर्शियल प्रेक्टिस, कम्प्यूटर एप्लीकेशन एन्ड बिजनेस मैनेजमेंट, एप्लाइड इलेक्ट्रानिक्स, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, फिशरीज टेक्नोलॉजी, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, मेटेलर्जिकल इंजीनियरिंग, सैंडविच मेकेनिक्स, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, ग्रीन केमिस्ट्री एन्ड इंजीनियरिंग सहित अन्य
हमारे यहां संचालित कोर्स
सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंटेशन कंट्रोल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, कम्प्यूटर, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, पेट्रो केमिकल, प्रोडक्शन इंडस्ट्री और अन्य।

नई ब्रांच और कोर्स में रुचि कम

राजस्थान में तकनीकी शिक्षा विभाग की इंजीनियरिंग कॉलेज में नई ब्रांच और कोर्स खोलने में रुचि कम दिखती है। बीते 15-20 वर्षों में यहां कई सरकारी और निजी कॉलेज खुले हैं। मांग के अनुरूप नई ब्रांच और कोर्स और भी शुरू हुए हैं, फिर भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में यह संख्या सीमित है। विद्यार्थियों को चिरपरिचित ब्रांच और कोर्स में ही दाखिलों का विकल्प मिलता है। नए और रोजगारोन्मुखी कोर्स में प्रवेश के लिए कई विद्यार्थी दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं।
ना एक्रिडेशन ना प्रोफेसर
राज्य के नए इंजीनियरिंग कॉलेज के न एक्रिडेशन हैं न इनमें प्रोफेसर हैं। जबकि उच्च और तकनीकी विश्वविद्यालयों के लिए नैक और नैब (नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडेशन) से ग्रेडिंग जरूरी है। प्रोफेसर नहीं होने से अधिकांश कॉलेज में रीडर और लेक्चरर ही विद्यार्थियों को इंजीनियर बना रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो