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बगैर प्रदूषण जांच के दौड़ रहे वाहन, घुल रहा सांसों में जहर

रसद, परिवहन, यातायात पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

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pollution increase

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रमेश शर्मा/सवाईमाधोपुर. प्रदूषण को लेकर वैश्विक ङ्क्षचता के बीच बिना प्रदूषण जांच वाले वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं भरने के लिए पंप मालिकों को पाबंद करने के आदेश हवा हो गए हैं। बिना प्रदूषण जांच के वाहनों में धड़ल्ले से पेट्रोल-डीजल दिया जा रहा है। राज्य सरकार के आदेश पर जिले के रसद अधिकारियों ने भी पेट्रोल पंप संचालकों को वाहनों के प्रदूषण की जांच होने पर ही ईंधन भरने के आदेश जारी कर रखे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया कागजी बन कर ही रह गई है। हकीकत में प्रदेश भर में कहीं भी आदेशों की पालना नहीं हो रही है। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग ने भी आंखे मूंद रखी है। प्रदूषण जांच के नाम पर खानापूर्ति से सांसों में जहर घुल रहा है।
नहीं खुले पर्याप्त केन्द्र
राज्य के अनेक जिलों में प्रदूषण जांच केन्द्रों की कमी भी लोगों को खल रही है। कहीं एकाध पेट्रोल पंपों पर ही प्रदूषण जांच केन्द्र संचालित है। सवाईमाधोपुर जिलेभर में मात्र आधा दर्जन प्रदूषण जांच मोबाइल वैन हैं। यह भी जिला मुख्यालय तथा गंगापुरसिटी क्षेत्र में ही खड़ी रहती है। पेट्रोल पंप संचालक प्रदूषण केन्द्रों के संचालन को लेकर रूचि नहीं दिखा रहे है। ऐसे में जिला मुख्यालय व गंगापुर सिटी को छोडकर अन्य गांव एवं उपखण्ड स्तर पर रहने वाले लोगों के लिए प्रदूषण की जांच करवाना संभव नहीं हो पा रहा है। जांच के अभाव में वर्षों पुराने कई वाहन धुआं छोड़ते सडक़ों पर दौड़ रहे हैं।
भरतपुर के क्षेत्रीय अधिकारी बोले
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भरतपुर के क्षेत्रीय अधिकारी दीपेन्द्र ङ्क्षसह झारवाल ने बताया कि सवाईमाधोपुर में प्रदूषण ज्यादा नहीं है। यहां बड़ी औद्योगिक इकाइयां नहीं होने से प्रदूषण का मानक सही पाया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का मानक 100 से अधिक रहने पर खतरा शुरू होता है। जबकि गत माह की गई जांच में मानक 69 मिला है। ऐसे में यहां का वातावरण शुद्ध है।
यह है नियम
परिवहन विभाग की ओर से पेट्रोल पंप संचालक व ऑटो मोबाइल वालों को प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित करने के लिए अधिकृत किया जा सकता है। इसके लिए उन्हें परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होता है। लाइसेंस लेने के बाद जांच मशीन स्थापित कर वाहनों के प्रदूषणों की जांच की जा सकती है। वाहनों की जांच के बाद वाहन मालिक को प्रदूषण मुक्तवाहन का प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह छह माह तक वैध होता है। जिस वाहन में धुआं निकलता पाया जाता है, उसे पीयूसी प्रमाण-पत्र नहीं दिया जाता है। उस वाहन की मालिक से मरम्मत व सर्विस कराने के लिए कहा जाता है।

फैक्ट फाइल
जनवरी 2021 से दिसम्बर 2021 तक
यातायात पुलिस का प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई
38 वाहनों का चालान 38 हजार का जुर्माना
परिवहन विभाग द्वारा कार्रवाई
431 वाहनों का चालान 4.68 लाख का जुर्माना

पीयूसी केन्द्र, वाहन व पेट्रोल पम्पों की स्थिति
भरतपुर संभाग में पेट्रोलपंप - 300
संभाग स्तर पर पीयूसी केन्द्र - 60
संभाग स्तर पर अक्टूबर से दिसम्बर में पीयूसी जांच

पेट्रोल वाहन -3393
डीजल वाहन- 3499
सवाईमाधोपुर में कुल पंजीयन वाहन- 2 लाख 35 हजार

अधिकारियों का कहना है

प्रदूषण जांच के लिए जिले में करीब एक दर्जन केन्द्र स्थापित कर दिए गए हैं। जिले के रसद अधिकारी को सरकार ने पाबंद किया हुआ है। उनके द्वारा बिना प्रदूषण जांच वाले वाहनों में ईंधन सप्लाई नहीं करने के लिए पेट्रोल पंप संचालकों को पाबंद करना है। यातायात पुलिस इसमें थोड़ी समझाइश करें तो कार्य में सफलता मिल सकती है।
सियाराम शर्मा, परिवहन निरीक्षक, डीटीओ कार्यालय सवाईमाधोपुर।

पूर्व में पेट्रोल पंपो पर प्रदूषण जांच मशीन लगाई थी। लेकिन वाहन मालिक बिना वाहन लाए ही प्रदूषण प्रमाण-पत्र बनाने के लिए दवाब डालते थे। ऐसे में बाद में पेट्रोल पंपों से मशीन हटा दी गई। प्रदूषण प्रमाण-पत्र जांच के बाद पेट्रोल या डीजल भरने संबंधित आदेश हमारे पास नहीं है।
हेमंत गर्ग, अध्यक्ष,पेट्रोलियम एसोसिएशन सवाईमाधोपुर