चिकित्सकों के अनुसार कोरोना के नए वैरिएंट का इसका पता लगाने के लिए पूर्व कोरोना काल में भी जयपुर पर निर्भर रहना पड़ता था। अब भी जयपुर पर ही निर्भर रहना होगा। जहां वायरस के स्ट्रक्चर का अध्ययन होकर उसके जीनोम िस्क्वेंस या आरएनए का पता लगेगा तब यह जानकारी मिलेगी कि मरीज को नए वैरिएंट का कोरोना है।
वायरस रूप ही बदल देता है जीन जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोविड प्रभारी डॉ. रोहितांश शर्मा व माइक्रोबायलॉजी विभाग की डॉ. ज्योत्सना चांदवानी के अनुसार कोरोना का वायरस जीन के मॉल्यूकूल को बदल देता है तब इसकी संरचना बदल जाती है। यह नया वैरिएंट का रूप ले लेता है। इसके जीनोम सिक्वेसिंग के आधार पर ही इसकी जांच होकर कोरोना के वैरिएंट का पता लगता है। जिसे सामान्य भाषा में आरटीपीसीर टेस्ट कहते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि आईएमआर की ओर से अभी कोई गाइड लाइन नहीं आई है। नया किट के संबंध में भी कोई निर्देश नहीं हैं। जिले में अभी नए वैरिएंट का कोई केस सामने नहीं आया है। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज को केवल पॉजिटिव आने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। जीन सिक्वेसिंग की रिपोर्ट कुछ दिन बाद आती है और यह उनके विषय क्षेत्र का भी नहीं है।