अजमेर में मिला था वसूली का लंगर बंदियों की बैरक में प्रतिबंधित सामान की मौजूदगी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एसीबी ने गतवर्ष अजमेर सेंट्रल जेल में कार्रवाई कर वसूली का ‘लंगर Ó पकड़ा था। बंदियों को जेल प्रहरी की मिलीभगत से सुविधाएं मुहैया कराई जा रही थी। इससे पूर्व राजस्थान पत्रिका ने 17 अगस्त 2017 को स्टिंग ऑपरेशन से अजमेर सेन्ट्रल जेल के वसूली के लंगर का खुलासा किया था। मुख्यालय की ओर से चलाए अभियान को सख्ती से लागू करने पर अव्यवस्थाओं पर रोक लग सकेगी।
वर्तमान में ऐसे हैं हालात-
प्रदेशभर के बंदी कारागारों में मौजूदा हालात में बंदियों के पास दर्जनों जोड़ी कपड़े, आरामदायक गद्दे, खाद्य सामग्री व डिब्बे सहित अन्य प्रतिबंधित सामान पहुंच जाता है। जेल प्रशासन भी मानवीयता की दृष्टि से सर्द रात में एक-दो कम्बल रखने की मंजूरी दे देता है, लेकिन बंदी प्रशासन की रियायत का फायदा उठाकर अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं। ऐसे में अब साप्ताहिक तलाशी के दौरान प्रतिबंधित वस्तुएं स्वत: बाहर आ जाएंगी।
बॉक्स : साफ-सफाई के फायदे
– बंदियों के व्यस्त रहने से अनावश्यक गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। -बैरक खाली होने से प्रतिबंधित वस्तुएं सामने आ जाएगी।
-बैरक में प्रतिबंधित सामान को छिपाया नहीं जा सकेगा। -वार्ड व बैरक की साफ-सफाई से हालात सुधरेंगे। बंदियों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा।
इनका कहना है प्रदेश की जेलों में प्रत्येक रविवार को बंदियों के बैरक की सफाई के आदेश दिए हैं। कुछ सकारात्मक बदलाव किए गए है। साफ-सफाई से प्रतिबंधित वस्तुओं के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के साथ कैदियों के स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ेगा।
एन. आर. के. रेड्डी, अतिरिक्त महानिदेशक(जेल)