कर बोर्ड का फैसला : मुद्रांक कलक्टर गंगापुर सिटी को इकरार नामा पंजीयन करने के निर्देश राजस्थान कर बोर्ड अजमेर के सदस्य हेमंत जैन व राजकुमार की खंडपीठ ने गंगापुर सिटी के कलक्टर मुद्रांक कार्यालय में विवशतापूर्ण जमा कराई गई राशि को निगरानीकर्ता को लौटाने के आदेश देते हुए प्रकरण से संबंधित इकरारनामे को पंजीकृत कर अपर जिला अदालत गंगापुर सिटी को भेजे जाने के आदेश दिए।
राजस्थान कर बोर्ड अजमेर के सदस्य हेमंत जैन व राजकुमार की खंडपीठ ने गंगापुर सिटी के कलक्टर मुद्रांक कार्यालय में विवशतापूर्ण जमा कराई गई राशि को निगरानीकर्ता को लौटाने के आदेश देते हुए प्रकरण से संबंधित इकरारनामे को पंजीकृत कर अपर जिला अदालत गंगापुर सिटी को भेजे जाने के आदेश दिए।
इंदरगढ़ बूंदी निवासी राजेन्द्र कुमार जैन ने मुद्रांक कलक्टर भरतपुर के 27 दिसम्बर 2022 के आदेश के खिलाफ कर बोर्ड में रिवीजन याचिका पेश की।इसमें बताया कि उसने सब जेल गंगापुरसिटी के पास अलमशहूर लाहिया मिल, गंगापुर सिटी की 61 हैक्टेयर भूमि 10 लाख रुपए में 6 मार्च 2005 को अपंजीकृत दस्तावेज से इकरारनामे के जरिए क्रय की। बाद में भूमि को लेकर विवाद होने पर गंगापुर सिटी की अदालत में विवाद पेश हुआ। अदालत ने प्रकरण में उक्त इकरारनामे को साक्ष्य में पेश करने से पूर्व मुद्रांक कलक्टर भरतपुर को संपत्ति की मालियत के लिए भिजवाया। संपत्ति का मूल्यांकन करते हुए मुद्रांक कर 3 लाख 67 हजार 772, ब्याज 7 लाख 86 हजार 896 व शास्ति 7 लाख 35 हजार रुपए अधिरोपित की।
शास्ति व ब्याज माफ का प्रावधानकलक्टर मुद्रांक ने यह भी लिखा कि मुद्रांक राशि 3 लाख 67 हजार 722 एक माह में जमा करा दी जाए तो एमनेस्टी स्कीम के तहत छूट का शत प्रतिशत लाभ देय होगा। प्रार्थी ने उक्त राशि 12 जनवरी 2023 को जमा करा दी। इसके बावजूद कलक्टर मुद्रांक ने इकरारनामे को गंगापुर सिटी की अदालत में नहीं भिजवाए। इस पर प्रार्थी ने कर बोर्ड में रिवीजन याचिका पेश की।
अज्ञानतावश मांग राशि 18 लाख बताईकर बोर्ड की खंडपीठ के आदेश में लिखा गया कि कार्यालय अधीक्षक ने अज्ञानतावश प्रार्थी को शास्ति, ब्याज व मुद्रांक कर सहित 18 लाख 90 हजार राशि का मांग पत्र भेज दिया व प्रार्थी की ओर से जमा कराई गई राशि 3 लाख 67 हजार 722 निगरानी पेश करने के लिए मांग की तुलना में 25 प्रतिशत राशि अनुसार कम है। अतएव एक लाख 4 हजार 792 राशि और जमा कराई जाए। प्रार्थी ने इस आपत्ति को दूर करने के लिए विवशता में उक्त राशि भी 15 सितम्बर 2023 को जमा करा दी। सरकारी वकील जमील जई का तर्क रहा कि प्रार्थी ने ब्याज व शास्ति जमा नहीं कराई है। अतएव निगरानी निरस्त की जानी चाहिए। कर बोर्ड की खंडपीठ ने उक्त राशि लौटाने व प्रार्थी का इकरारनामा पंजीकृत करते हुए संबंधित अदालत में भिजवाने के आदेश दिए।