
patrika lock down diaries
अजमेर.
कोरोना लॉकडाउन के चलते कोचिंग संचालकों की दिनचार्य भी बदल गई है। ऑनलाइन कोचिंग के साथ वे फुर्सत के पलों में योग-व्यायाम कर खुद को फिट रखे हुए हैं। साल भर व्यस्त रहने वाले कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने विद्यार्थियों को भी नीट, जेईई मेन, जेईई एडवांस की तैयारी के साथ-साथ तनावमुक्त रहने के लिए टिप्स दिए हैं। पत्रिका के लॉकडाउन डायरीज सीरीज में उन्होंने अपने विचार साझा किए।
लाइव क्लासरूम ही जिंदगी
सी स्क्वायर के निदेशक गुंजन माथुर ने बताया कि लॉक डाउन से मुझे और पूरी टीम को ऑनलाइन क्लास रूम टीचिंग का नया अनुभव सीखने को मिला है। सुबह 10 बजे से घर से बच्चों को पीडीएफ फाइल, लेक्चर प्लान भेजते हैं। दोपहर 2 बजे लाइव क्लास शुरू होती है। इसमें प्रत्येक विद्यार्थी का ज्वाइन करना अनिवार्य है। छह घंटे की क्लास के बाद इंस्टीट्यूट में प्रवेश की ऑनलाइन इन्क्वायरी शुरू होती है। इसमें पेरन्ट्स को जवाब देने में रात के 2 बजे तक व्यस्त रहता हूं।
खुद बनाते चाय, हाथ में किताब
गुंजन ने बताया कि रोजमर्रा की व्यस्ततम कोचिंग से समय निकालना मुश्किल होता है। इन दिनों वे खुद रोज चाय बनाते है। लेकिन हाथ में हमेशा सब्जेस्ट की किताब रहती है। दिमाग में लेक्चर प्लानिंग घूमती रहती है। सुबह उठने पर योग और हल्के व्यायाम भी करते हैं।
हर दिन सीखें कुछ नया
गुंजन का कहना है कि कोरोना लॉक डाउन में सबको कुछ सीखने को मिल रहा है। विद्यार्थियों को इस अवधि में धैर्य और आत्मविश्वास रखने भी हर दिन कुछ सीखना चाहिए। किसी भी परिस्थिति से तनावग्रस्त होने की जरूरत नहीं है। कोचिंग मेटेरियल और लाइव क्लास माध्यम उपलब्ध है उससे पढ़ाई कर सकते हैं।
व्यायाम से दिन की शुरुआत
सेल्सियस संस्थान के निदेशक और सीईओ नीट काका डॉ. अभिमन्यु कुमावत की व्यस्तता भी लॉकडाउन में बढ़ गई है। ऑनलाइन क्लासरूम और विद्यार्थियों की प्रॉब्लम सॉल्विंग में वक्त बीत रहा है। उन्होंने बताया कि सुबह उठने का बाद घर में टहलने के अलावा हल्का व्यायाम करते हैं। इससे शरीर में ब्लड सक्र्यूलेशन ठीक रहता है। मैं विद्यर्थियों को भी ब्लड सक्र्यूलेशन ठीक रखने के लिए व्यायाम और योग के कहता हूं। इससे ना केवल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी बल्कि शरीर में स्फूर्ती और ताजगी रहेगी।
प्रेक्टिस करें, अच्छे ढंग से पढ़ें
अभिमन्यु ने बताया कि लॉक डाउन में बच्चों का पूरा समय ऑनलाइन क्लास और लेक्चर में बीत रहा है। वे रोजाना विद्यर्थियों को 5 से 10 या 20 से 50 सवालों का समूह बनाकर सॉल्व करने को कहते हैं। सबसे अहम बात है कि जो बच्चों ने पढ़ा वह उन्हें याद रहे। इसके लिए टेस्ट प्रेक्टिस और नीट काका जैसे प्लेटफार्म बहुत फायदेमंद हैं। किसी मानसिक तनाव या घबराहट की बजाय सकारत्मक सोच रखें। कामयाबी हमेशा निरतंर अध्ययन औऱ अच्छी सोच से मिलती है।
Published on:
26 Apr 2020 08:42 am
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