प्रदेश के अजमेर, भरतपुर, बारां, झालावाड़ और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज में स्थाई प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीते वर्ष फरवरी-मार्च में ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। विभाग ने आवेदनों की छंटनी भी कर ली। इसके बावजूद साक्षात्कार नहीं हो सके। बीते सवा साल से प्राचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है।
नए सत्र में स्थाई प्राचार्यों की उम्मीद इंजीनियरिंग कॉलेज में सत्र 2019-20 में स्थाई प्राचार्यों की नियुक्ति हो सकती है। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। चुनाव आचार संहिता 23 मई के बाद समाप्त हो जाएगी। अब सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग कामकाज में जुटेंगे। इसमें प्राचार्यों की नियुक्ति भी शामिल है।
तीन साल से नहीं स्थाई प्राचार्य
अजमेर के बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में जून 2015 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। डॉ. एम.एम. शर्मा के बाद से यहां कार्यवाहक प्राचार्य ही जिम्मेदारी संभाले हुए है। इस दौरान अप्रेल 2016 में तकनीकी शिक्षा विभाग ने जयपुर में साक्षात्कार भी कराए, पर तकनीकी अड़चनों के चलते नियुक्ति नहीं हो सकी।
अजमेर के बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में जून 2015 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। डॉ. एम.एम. शर्मा के बाद से यहां कार्यवाहक प्राचार्य ही जिम्मेदारी संभाले हुए है। इस दौरान अप्रेल 2016 में तकनीकी शिक्षा विभाग ने जयपुर में साक्षात्कार भी कराए, पर तकनीकी अड़चनों के चलते नियुक्ति नहीं हो सकी।
कार्यवाहक प्राचार्य पर जिम्मा
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में भी दिसम्बर 2017 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। यहां डॉ. अजयसिंह जेठू के इस्तीफा देने के बाद प्रो. रंजन माहेश्वरी कार्यवाहक प्राचार्य रहे। अब डॉ. जे. के. डीगवाल कामकाज संभाले हुए है। यहां छात्राओं के आंदोलन के चलते प्रो. माहेश्वरी ने एकबारगी तो पद छोड़ दिया था।
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में भी दिसम्बर 2017 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। यहां डॉ. अजयसिंह जेठू के इस्तीफा देने के बाद प्रो. रंजन माहेश्वरी कार्यवाहक प्राचार्य रहे। अब डॉ. जे. के. डीगवाल कामकाज संभाले हुए है। यहां छात्राओं के आंदोलन के चलते प्रो. माहेश्वरी ने एकबारगी तो पद छोड़ दिया था।
कॉलेज में यह आ रही परेशानियां….. -स्टाफ और कर्मचारियों की पगार की समस्या
-सरकार से नहीं मिल रहा नियमित बजट -कार्यवाहक प्राचार्यों पर ज्यादा कार्यभार
-कॉलेज में नहीं उपाचार्यों का पद सृजित चुनाव आचार संहिता के बाद कामकाज शुरू करेंगे। हम चाहते हैं कि अगले सत्र में सभी इंजीनियरिंग कॉलेज को स्थाई प्राचार्य मिल जाएं।
डॉ. सुभाष गर्ग, तकनीकी, चिक्तिसा और संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री
-सरकार से नहीं मिल रहा नियमित बजट -कार्यवाहक प्राचार्यों पर ज्यादा कार्यभार
-कॉलेज में नहीं उपाचार्यों का पद सृजित चुनाव आचार संहिता के बाद कामकाज शुरू करेंगे। हम चाहते हैं कि अगले सत्र में सभी इंजीनियरिंग कॉलेज को स्थाई प्राचार्य मिल जाएं।
डॉ. सुभाष गर्ग, तकनीकी, चिक्तिसा और संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री