scriptएडीए की लापरवाही से आबाद नहीं हो सकी वर्षों पुरानी पृथ्वीराज नगर व डीडी पुरम योजनाएं | Prithviraj Nagar and DD Puram schemes could not be settled d | Patrika News

एडीए की लापरवाही से आबाद नहीं हो सकी वर्षों पुरानी पृथ्वीराज नगर व डीडी पुरम योजनाएं

locationअजमेरPublished: Dec 04, 2019 07:59:48 pm

Submitted by:

bhupendra singh

बिजली- पानी, भूमि के बदले भूमि तथा भूखंड का कब्जा लेने के लिए भटक रहे आवंटी
19 माह पूर्व लांच हुई विजयाराजे योजना को लगे विकास के पंख

एडीए की लापरवाही से आबाद नहीं हो सकी वर्षों पुरानी पृथ्वीराज नगर व डीडी पुरम योजनाएं

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अजमेर. अजमेर विकास प्राधिकरण के अफसरों की लापरवाही ada negligence से प्राधिकरण की कई वर्ष पुरानी दो महत्वपूर्ण schemes योजनाएं दम तोड़ रही है। करीब 19 माह पूर्व लॉंच हुई प्राधिकरण की विजयाराजे नगर योजना को विकास के पंख लगे हुए है। यह योजना रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट (रेरा) में पंजीकृत हैं। कानून के डर से अधिकारी यहां पार्क विकास,विद्युतकरण,पौधारोपण,सड़क व सीवर का काम समयबद्ध तरीके से करवा रहे हैं। वर्तमान में यह प्राधिकरण की सबसे मंहगी योजना में शुमार है।
जबकि 2007 में लांच हुई पृथ्वीराज नगर Prithviraj Nagar व 2012 में लांच हुई DD Puram डीडीपुरम नगर योजना का कोई धणीधोरी नजर नहीं आ रहा है। इन योजनाओं में भूखंड लेने वाले सैकड़ों आवंटियों को तो अब तक उनके भूखंडों का कब्जा ही नहीं मिला सका। वहीं जिन खातेदारों की भूमि आवाप्त कर प्राधिकरण ने योजनाओं निकाली उनमें से पचास फीसदी खातेदार अपनी जमीन के बदले जमीन दिए जाने व मुआवजे का इंतजार कर रही है। इन योजनाओं में न तो बिजली पहुंचा है और न पानी। ऐसे में जिन्हें भूखंड मिल चुके हैं वे भी मकान का निर्माण नहीं कर पा रहे है।
पृथ्वरीराज नगर योजना
इस योजना के लिए 2005 में माकड़वाली,चौरसियावास व आसपास के गावों की 1100 बीघा भूमि आवाप्त की गई। 2007 में 1100 प्लॉट की यह योजना लॉंच की गई। 60 फीसदी खातेदारों को भूमि के बदले भूमि दी जा चुकी है। 40 फीसदी को अभी भी इंतजार है। मुआवजा भी नहीं मिला है। अब इस योजना में केवल दो मकान बने हैं। योजना के आधे भाग में बिजली पहुंची है। इस योजना में पानी पाइप लाइन अब तक नहीं डाली जा सकी।
डीडी पुरम योजना
इस योजना के लिए वर्ष 2009 में 2300 बीघा भूमि आवाप्त की गई। इसमें 1600 बीघा सरकारी व 800 बीघा खातेदारी भूमि है। 4000 से अधिक भूखंड के साथ योजना वर्ष 2012 में लांच हुई। 50 फीसदी से अधिक खातेदारों को भूमि के बदले भूमि नहीं मिली। इसके चलते इस योजना के 4 ब्लॉक में विवाद चल रहा है। खातेदार खेती कर रहे है। वे कब्जा छोडऩे को तैयार नहीं है। लीज मुक्ती की भी मांग की जा रही है। योजना में न पानी पहुंचा और न बिजली अब तक केवल दो मकान ही बने हैं। योजनाक्षेत्र में बनाए गए पार्क में बबूल की झाडिय़ां उगी हुई है।
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