14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत सभी सरकारी विभागों, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम होंगे। भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के शासन सचिव नरेश पाल गंगवार ने बताया कि हिंदी दिवस पर विचार गोष्ठी, काव्य पाठ, निबंध लेखन, वाद-विवाद, श्रुतिलेखन, हिंदी टंकण, साहित्यिक कार्यक्रम कराए जा सकेंगे। कार्यक्रम एक दिवसीय, एक सप्ताह और एक पखवाड़े में होंगे। इसमें विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी भाग ले सकेंगे।
खुल सकता है किस्मत का पिटारा सीबीएसई से सम्बद्ध सरकारी और निजी स्कूल को स्वच्छता और हरियाली होने पर पुरस्कार मिलेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग मौजूद सत्र के पुरस्कार जल्द बांटेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्वच्छता और हरियाली के आधार पर सरकार और निजी स्कूल के लिए योजना प्रारंभ की है। सीबीएसई से सम्बद्ध शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के सरकारी, निजी और अनुदानित स्कूल इसमें शामिल किए गए हैं। यह होंगे खास बिन्दु
-स्कूल भवनों में स्वच्छता और कचरा निष्पादन प्रक्रिया
-विद्यार्थियों और स्टाफ के शौचालयों की सफाई -शुद्ध पेयजल और जल निकासी
-संरक्षण के प्रबंध-परिसर में हरियाली, सौर ऊर्जा की उपयोगिताकई स्कूल बेहतर, कई पीछे स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को लागू करने में देश के कई स्कूल बेहतर हैं। इनमें अजमेर सहित अन्य राज्यों के नामचीन पब्लिक स्कूल शामिल हैं। दूसरी ओर सरकारी और ग्रामीण स्कूल में हालात बेहतर नहीं है। कई स्कूल ऐसे हैं जहां पानी की टंकियों और टॉयलेट की सफाई नहीं होती। सीवरेज के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से परिसर और आसपास गंदगी रहती है। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति भी स्कूल संचालक उदासीन हैं।
-विद्यार्थियों और स्टाफ के शौचालयों की सफाई -शुद्ध पेयजल और जल निकासी
-संरक्षण के प्रबंध-परिसर में हरियाली, सौर ऊर्जा की उपयोगिताकई स्कूल बेहतर, कई पीछे स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को लागू करने में देश के कई स्कूल बेहतर हैं। इनमें अजमेर सहित अन्य राज्यों के नामचीन पब्लिक स्कूल शामिल हैं। दूसरी ओर सरकारी और ग्रामीण स्कूल में हालात बेहतर नहीं है। कई स्कूल ऐसे हैं जहां पानी की टंकियों और टॉयलेट की सफाई नहीं होती। सीवरेज के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से परिसर और आसपास गंदगी रहती है। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति भी स्कूल संचालक उदासीन हैं।
विश्वविद्यालयों के ये हाल
बीते साल क्लीन-ग्रीन कैंपस योजना के तहत यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को रेटिंग दी थी। इसमें निजी संस्थानों के सामने सरकारी विश्वविद्यालय कहीं नहीं टिक सके।
बीते साल क्लीन-ग्रीन कैंपस योजना के तहत यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को रेटिंग दी थी। इसमें निजी संस्थानों के सामने सरकारी विश्वविद्यालय कहीं नहीं टिक सके।