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लॉकडाउन इफेक्ट : पुष्कर के फूलों का नहीं कोई कद्रदान,पैदावार की अपेक्षा खपत काफी कम

पुष्कर के फूलों का कोराबर पूरी तरह से ठप, पन्द्रह टन प्रतिदिन की बिक्री प्रभावित,कोरोना के चलते लॉकडाउन का यह असर,अजमेर की दरगाह सहित शहर के धार्मिक स्थलों पर लटके हैं ताले

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लॉकडाउन इफेक्ट : पुष्कर के फूलों का नहीं कोई कद्रदान,पैदावार की अपेक्षा खपत काफी कम

लॉकडाउन इफेक्ट : पुष्कर के फूलों का नहीं कोई कद्रदान,पैदावार की अपेक्षा खपत काफी कम

ajmer अजमेर/पुष्कर (महावीर भट्ट). धार्मिक स्थलों पर हर रोज मालाएं व फूल चढ़ाए जाते थे। विवाह समारोह में मालाओं की डिमांड रहती थी। बारात के स्वागत से लेकर वरमाला,सुहागरात को रूम सजावट सहित अन्य कार्यों में फूलों की डिमांड रहती थी। कोरोना महामारी ने फूलों की खेती को चौपट कर दिया है। कोरोना के दूसरे लॉकडाउन में पुष्कर में फूलों का कारोबार ठप पड़ा है। फूल उत्पादक कृषक मायूस बैठने को मजबूर हैं।
पुष्कर से हर रोज करीब पन्द्रह टन गुलाब के फूलों की बिक्री होती थी,जो ठप हो गई। गैंदा, हजारा, जाफरी के फूलों को खेतों में ही डम्प करना पड़ रहा है। गुलाब घरों में ही सुखाए जा रहे हैं, ताकि लॉकडाउन खत्म होने पर काम में लिए जा सके। कई किसानों ने तो फूलों की बजाय सब्जियों की खेती शुरू कर दी है।

धार्मिक,सामाजिक और अन्य कार्य बंद

मंदिरों में पूजा-पाठ और दरगाह-मस्जिद में इबादत करने, अगरबत्ती, शरबत, इत्र, गुलकन्द व सेन्ट बनाने से लेकर शादी-विवाह की रौनक पुष्कर के गुलाब की महक से ही पूरी मानी जाती रही है। अरब देशों में इत्र बनाने के लिए गुलाब की फसल सुखाकर निर्यात की जाती है, लेकिन लॉकडाउन की पाबंदियों ने सबकुछ चौपट कर दिया। किसान परेशान हैं और बेरोजगार हो गए हैं। उत्पादन तो हैं, लेकिन बेचने कहां जाएं। लॉकडाउन से पूर्व जहां पुष्कर के फूलों का कारोबार 15 टन प्रतिदिन हुआ करता था, वहीं वर्तमान में खपत कुल उत्पादन के बीस प्रतिशत से भी कम रह गई है।

फैक्ट फाइल

अजमेर जिले में कुल खेती :

- 700 बीघा में गुलाब, 5 हजार बीघा में मोगरा-गेंदी-हजारा की पैदावार
- 7000 किसानों को रोजगार।
- प्रदेश में 2750 व्यापारी।
- उत्पादन 15 टन रोजाना।
- फूलों का उत्पादन केन्द्र पुष्कर, तिलोरा, गनाहेड़ा, सवाईपुरा, कड़ैल, देवनगर, भांवता, श्रीनगर, डूमाड़ा, ब्यावर।
-बिक्री केन्द्र, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, अरब देशो मेंं निर्यात।
ऐसे चढ़े-गिरे फूलों के भाव (रुपए प्रति किलो)
- लाल गुलाब लॉकडाउन से पहले 100 रुपए किलो बिकता था जो अब इसके दाम 20 रुपए किग्रा है।

- हजारा पहले 50 रुपए किलो बिकता था जो इन दिनों 10 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
- मोगरा के भाव पहले 200 रुपए प्रति किलों थे जो अभी 50-60 रुपए है।
- देशी गुलाब लॉकडाउन से पहले 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा था जो अब 25 रुपए है

इनका कहना है

-सीजन में 100 रुपए किलो तक के भाव मिलते हैं। अभी दस रुपए किलो का भाव है। किसान खेतों में ही गुलाब सुखा रहे हैं। गैंदी, हजारा, जाफरी, कलकत्ती हजारे का तो कोई खरीदार ही नहीं है। मजबूर होकर फूलों को पौधों से ही नहीं तोड़ रहे।

श्रवण तंवर, फूल व्यापारी व किसान बांसेली पुष्कर।

- लॉकडाउन में सब कुछ ठप है। फ्लाइट बंद होने से अरब देशों तथा बाजार, दुकानें बंद होने से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में गुलाब व सुगन्धित फूलों की बिक्री कतई नहीं हो रही। 30 जून तक शादियों पर रोक है। अब गुलाब किसको बेचें। घरों में सुखा रहे हैं।

हनुमान सिंगोदिया, अध्यक्ष फूल व्यवसाय संघ बांसेली पुष्कर।

दूसरे लॉकडाउन ने गुलाब किसानों की पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। सरकार की ओर से पिछले व वर्तमान लॉकडाउन में किसानों व छोटे व्यापारियों को कोई मदद नहीं मिली है। प्राकृतिक आपदा में छोटे व्यापरियों को घर खर्च तो मिले। किसानों का मुआवजा तय हो।
पूनम चंद मारोठिया, जिला अध्यक्ष फूल मंडी अजमेर।लॉकडाउन में फूल उ