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rajasthan ka ran: तब बोले थे कार्यकर्ता..घोड़ी पर ही नहीं चढ़ोगे तो कैसे बनोगे दूल्हा?

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1977 election ajmer

1977 election ajmer

अजमेर.

चुनाव लडऩे के लिए सौ रुपए भी जेब में नहीं थे। टिकट की दौड़ में कहीं नहीं था, इसलिए टिकट के लिए आवेदन भी नहीं किया। कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर घोड़ी पर ही नहीं चढ़ोंगे तो दूल्हा कैसे बनोगे। आप तो आवेदन करो, चुनाव हम देख लेंगे, हम जिताएंगे। संगठन ने ही टिकट लाकर चुनाव लड़ाया और चुनाव जीता।

अजमेर के पूर्व विधायक नवलराय बच्चाणी ने करीब 41 साल पूर्व वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में अजमेर पश्चिम विस क्षेत्र से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत के पलों का याद करते हुए बताया कि राजनीति में उस समय पैसे को नहीं निष्ठा एवं कार्य को तवज्जो दी जाती थी। पूर्व विधायक बच्चाणी आज भी सादगी सा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

आज के राजनीतिक परिवेश में टिकट के लिए मच रही भागदौड़ एवं महत्वाकांक्षा पर उन्होंने कहा कि पहले जो कार्यकर्ता जमीन से जुड़ें थे, संगठन के लिए सक्रिय रह कर कार्य करते रहे उन्हें टिकट दिया जाता था। बच्चाणी ने बताया कि वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साधारण कार्यकर्ता के रूप में रहे।

बाद में विश्व हिन्दू परिषद के बतौर मंत्री खरेखड़ी गांव में उन्होंने एक डिस्पेंसरी में सेवा कार्य किया। इसी दौरान विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए नेता व कई कार्यकर्ता दौड़ में थे। उन्हें ना तो चुनाव लडऩा था और ना पास में पैसे थे। इसके बावजूद संगठन ने टिकट लाकर दिया और कहा हम लड़ेंगे चुनाव और जिताएंगे।

घर की स्थिति ठीक नहीं थी...
संघ के कार्यकर्ता के रूप में सेवा हम लोगों को जो भी संस्कार दिए जाते थे उनमें राजनीति जैसी कोई बात नहीं होती थी। चुनाव कै दौरान मैं टिकट की दौड़ में था ही नहीं, यह लोग ही टिकट लेकर आए। इससे पहले सभी ने कहा कि चुनाव लडऩा है। उन्होंने कहा इतना त्याग करके आए हो, टिकट के लिए आवेदन करो। उस समय एक सौ रुपए पार्टी लेती थी, टिकट के लिए 10-12 लोगों ने आवेदन किया था। आवेदन नहीं करने के बावजूद संगठन ही उनके लिए टिकट लेकर आया और चुनाव लड़ाया। इस चुनाव में नवलराय बच्चाणी ने कांग्रेस प्रत्याशी किशन मोटवानी को हराकर जनता पार्टी को जीत दिलाई।