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RIO OLYMPICS – इस अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी ने कहा कि टीटी पुरुष वर्ग में आज भारत के पास सुनहरा मौका

अन्तरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी मंजीत दुआ ने कहा- टेटे में बेहतरीन ड्रॉ

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Nikhil Sharma

Aug 07, 2016

manjit dua

manjit dua

रियो ओलम्पिक 2016 शुरू हो चुके हैं। इस बार टेबल टेनिस में भारत की ओर से 4 खिलाडि़यों ने क्वालिफाई किया है। टेटे में विश्व पटल पर भारत अब तक कोई विशेष छाप नहीं छोड़ पाया है। वर्ष-1988 ओलम्पिक से टेटे में भारत का प्रतिनिधित्व प्रारम्भ हुआ।

मगर तब से अबतक टेटे में भारत को कोई पदक नहीं मिला है। एेसे में अन्तर्राष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी व अर्जुन पुरस्कार विजेता मंजीत दुआ ने इस वर्ष ओलम्पिक में भारत के लिहाज से सुनहरा अवसर बताया है।

भारतीय टेटे संघ की ओर से टीटी अकादमी में पीएसपीबी (पेट्रोलियम स्पोटर्स प्रमोशन बोर्ड) की ट्रायल के लिए सलेक्शन कमेटी के सदस्य के रूप में अजमेर आए दुआ ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि अब तक के ओलम्पिक इतिहास में इससे आसान ड्रॉ भारत को नहीं मिल सकता। भारत निश्चित रूप से अच्छे मुकाबले जीत सकता है।

वातावरण व पोषण में कमी

अब तक टेटे में विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के पीछे दुआ ने बताया कि भारत में खेल वातावरण व खिलाडि़यों के पोषण की काफी कमी है। खिलाडि़यों को सभी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मगर अब भी उन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के समतुल्य भोजन व वातावरण नहीं मिल पा रहा है। भारत में टॉप-10 खिलाड़ी व उसके बाद की रैकिंग वाले खिलाडि़यों के कौशल में काफी अंतर है। एेसे में ज्यादा खिलाड़ी उच्च स्तर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

खेलों को पूरी तरह नहीं स्वीकारा

टेबल टेनिस में एशियाई टीमों का दबदबा रहता है। टॉप-16 में से 6 टीमें एशिया की हैं, एेसे में एशियाई राष्ट्र होने के बावजूद भारत टेटे में अपना मुकाम नहीं बना पा रहा है। इस बार दुआ ने बताया कि भारत में अब भी खेलों को पूरी तरह से नहीं स्वीकारा गया है। खिलाडि़यों को जॉब सिक्योरिटी नहीं है। एेसे में माता-पिता भी अपने बच्चों को खेलों की ओर बढऩे के लिए अग्रसर नहीं करते हैं। इसी के चलते विश्व स्तर पर भारत अब भी खेलों में काफी पिछड़ा हुआ है।

मंजीत दुआ -

- अन्तर्राष्ट्रीय करियर - 1973 से 1983

- अर्जुन अवार्ड विजेता

- सबसे कम उम्र में नेशनल चैम्पियन - 18 वर्ष

- 73,76 व 79 में नेशनल चैम्पियन

- एक नेशनल टूर्नामेंट में 4 गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाडी़, अबतक सिर्फ दो

- इंडियन प्राइड अवार्ड विजेता

- यूरोप जाकर भारत की ओर से खेलने प्रोफेशनल लीग खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी

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