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संस्कृत को बढ़ावा देने का जुनून,  स्वयं के खर्चे पर लगा रहे शिक्षक

भामाशाह के भरोसे संस्कृत शिक्षा, संस्कृत स्कूलों में सैकड़ों पद खाली, दो संभागों के संस्कृत कॉलेज एवं संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों को दे रहे पगार-गांवों के बच्चों को संस्कृत से जोड़ने का प्रयास, नामांकन भी बढ़ाया

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संस्कृत को बढ़ावा देने का जुनून,  स्वयं के खर्चे पर लगा रहे शिक्षक

संस्कृत को बढ़ावा देने का जुनून,  स्वयं के खर्चे पर लगा रहे शिक्षक

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. राजस्थान में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए प्रवासियों ने भी कमान संभाल रखी है। संस्कृत को बढ़ावा देने का ऐसा जुनून कि स्वयं एवं ट्रस्ट के माध्यम से सैकड़ों शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। प्रवासियों की ओर से करीब 1466 शिक्षकों की तनख्वाह का खर्चा वहन किया जा रहा है।अजमेर एवं बीकानेर संभाग में संस्कृत शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए यह पहल की गई है। जिसके चलते संस्कृत स्कूल-कॉलेजों में 1 लाख 8864 विद्यार्थियों का नामांकन है। जबकि कई ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी से लगातार नामांकन कम हो रहा है।

43 कॉलेज में लगाए शिक्षक

अजमेर, बीकानेर के साथ राज्य के करीब 43 संस्कृत कॉलेजों में 94 खाली पदों में से 71 की भर्ती की गई है। इन शिक्षकों को सुप्रीम फाउंडेशन जसवंतगढ़ की ओर से 18000 एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों को 25000 रुपए मासिक मानदेय दिया जा रहा है।

657 संस्कृत स्कूलों में लगाए 1466 शिक्षक

फाउंडेशन की ओर से करीब 657 स्कूलों में 1466 शिक्षकों के मानदेय का भुगतान भी फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है। उच्च प्राथमिक तक 8000, सैकण्डरी में 9000 एवं 10000 (अंग्रेजी, गणित, विज्ञान विषय), बारहवीं तक 12000 एवं 15000 रुपए तक मासिक मानदेय दिया जा रहा है।

संस्कृत स्कूलों में छात्राओं का नामांकन अधिकफाउंडेशन की ओर से जिन संस्कृत स्कूलों में शिक्षक लगाए हैं वहां छात्राओं का नामांकन अधिक है। इनमें छात्राएं 57173 एवं 51682 छात्रों का नामांकन है।

इन कस्बों, जिलों में काम अधिक

लाडनूं, बिदियासर, चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, टोंक, सीकर,जयपुर आदि के संस्कृत स्कूल व कॉलेज में संस्कृत शिक्षा में शिक्षकों को लगाया गया है।

इनका कहना है

-सुप्रीम फाउंडेशन के बजरंगलाल तापडि़या, महावीर प्रसाद एवं शिवरतन तापडि़या संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे हैं। कॉलेजों में विद्या संबल से हटाए गए शिक्षकों के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं, जल्द कॉलेजों में भी शिक्षक लगाए जाएंगे।

श्याम बाबू शर्मा, प्रोजेक्ट प्रभारी सुप्रीम फाउंडेशन

-संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। संस्कृत शिक्षा में ट्रांसफर पॉलिसी बननी चाहिए। शिक्षकों की कमी से कई जगह नामांकन प्रभावित हो रहा है।

अमिताभ सनाढ्य, प्रदेश महामंत्री, शिक्षक संघ राधाकृष्णन