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एकीकरण में स्कूल बंद कर दिए तो शाला भवन भी हो गए बदहाल

locationअजमेरPublished: Jul 11, 2019 05:25:55 pm

Submitted by:

suresh bharti

राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे तो कर रही है,लेकिन एकीकरण योजना में बंद किए स्कूल का विकल्प नहीं खोजा,विद्यालय बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर विपरीत असर

School is locked in the integration, the school building is damaged

एकीकरण में स्कूल बंद कर दिए तो शाला भवन भी हो गए बदहाल

अजमेर.

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने एकीकरण के नाम प्रदेश के हजारों स्कूलें बंद कर दी। एक स्कूल को दूसरी में मर्ज कर दिया। इससे राज्य सरकार को क्या फायदा मिला। यह तो वही जाने, लेकिन हजारों बच्चे आसान शिक्षा से वंचित हो गए। कई बच्चों को अपने घर व गांव से दूरदराज पढऩे जाना पड़ रहा है। इसके साथ ही स्कूल भवन रखरखाव के अभाव में बदहाल हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की ओर से राजकीय विद्यालयों के एकीकरण की प्रक्रिया अंतर्गत किशनगढ़ के कई विद्यालयों को भी बंद किया गया था। इनको अभी तक नहीं खोला गया है। इसके चलते आसपास के बच्चों को दूसरे स्कूलों में जाना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष २०१५-०६ में एकीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक विद्यालयों को बंद किया गया था। तब से यह विद्यालय अभी तक बंद ही पड़े हंै। इन विद्यालयों का संचालन वापस शुरू कर दिया जाए तो आसपास के बालक बालिकाओं को निजी स्कूलों में और दूर के सरकारी विद्यालयों में नहीं जाना पड़ेगा।
कम होगा दबाव

इन सरकारी विद्यालयों को पुन: शिक्षा के लिए खोलने पर आसपास के सरकारी विद्यालयों पर भी दबाव कम होगा। पास के सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को बैठाने की जगह की कमी है। इससे परेशानी बनी हुई है।
भवन हो रहे जर्जर

कई साल से स्कूल भवन बंद होने से इनकी मरम्मत की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया है। इसके चलते इनके भवन भी जर्जर हो रहे हैं। राजकीय महाराजा उच्च प्राथमिक विद्यालय के भवन की दीवारों पर पेड़ उगे हुए हैं। इस भवन की मरम्मत किए जाने की आवश्यकता है।
बच्चों को मिलेगा लाभ

राजकीय विद्यालयों में प्रवेशोत्सव की प्रक्रिया के चलते बच्चों की संख्या बढऩे लगी है। ऐसे में इन विद्यालयों की मरम्मत कर इनमे अध्यापन कार्य पुन: शुरू कर दिया जाए तो आसपास के बच्चों को लाभ मिलेगा। इन बच्चों को पढऩे के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। इससे इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं निजी विद्यालयों में जाने वाले बच्चों की संख्या भी कम हो सकेगी।
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