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दिवाली पर घरों से निकला करोड़ों का कबाड़

-कबाड़ बाजार में फिर से नजर आई तेजी-कौडि़यों में खरीदा सामान बिकेगा करोड़ों में  

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दिवाली पर घरों से निकला करोड़ों का कबाड़

दिवाली पर घरों से निकला करोड़ों का कबाड़

तरुण कश्यप.

अजमेर. दिवाली पर इस बार शहरवासियों ने घरों व प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई कर करोड़ों रुपए का कबाड़ बाहर निकाला है। यह कबाड़ अलग-अलग जगह पर गोदामों में पहुंच चुका है। छंटनी कर यह कबाड़ बिकने के लिए महानगरों में जाएगा। घरों से कौडिय़ों में खरीदा गया यह कबाड़ व्यवसायियों को करोड़ों कमा कर देगा। शहर में लोहा-लंगड़ की छोटी-मोटी करीबन 60-70 दुकानें हैं। शहर के केसर गंज, बाबू मोहल्ला, अजय नगर, डिग्गी बाजार, दिल्ली गेट, मदार गेट आदि क्षेत्र में कबाडि़यों की काफी दुकानें हैं। घर- घर फेरी लगाकर ठेलों पर कबाड़ खरीदने वाले इन दुकानों पर पुराना लोहा, प्लास्टिक आदि का सामान बेचते हैं।
दुकानों से यह माल सीधा औद्योगिक क्षेत्र व नाका मदार स्थित बड़े कबाड़ व्यवसायियों के गोदाम में पहुंचता है। यहां पर सभी माल की अलग-अलग तरह से छंटनी होती है। यहां से यह माल ट्रकों में भरकर पंजाब, हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों में फैक्ट्री तक पहुंचता है

एंटीक सामान भी कबाड़ में

त्योहारी सीजन में लोगों ने नए सामान की खरीदारी करने के चलते घर के पुराने टूटे-फूटे सभी सामान को बाहर निकाला है। इसमें एंटीक सामान से लेकर बंद कंप्यूटर, पुराने टीवी, फ्रि ज, कूलर वाशिंग मशीन आदि भी शामिल हैं। इसके अलावा स्टील के पुराने बर्तन व अन्य सामान भी हैं ।

मुनाफा सीधा जेब में
बताया जाता है कि कबाड़ के इस धंधे में ना लाइसेंस लेने की जरूरत है न ही टैक्स भरने की टेंशन। कई बार कबाड़ में ऐसा सामान भी आता है जो गोदाम में पहुंचने से पहले ही कई लोग खरीदते हैं। इसमें पुराने स्पेयर पाट्र्स, एंटीक सामान शामिल हैं। यह सामान कबाड़ी को बड़ा मुनाफा कमा कर देते हैं। घरों से कबाड़ खरीदने वालों का कहना है कि कबाड़ की खरीदारी से उनका परिवार ही चल पाता है। बड़ी कमाई गोदामवालों की होती है। वह सीधा मुनाफा कमाते हैं।

लॉकडाउन का असर आया नजर

लॉकडाउन के दौरान काम धंधे बंद होने का असर कबाड़ के कारोबार पर सीधा नजर आया। कुछ कबाडि़यों का कहना है कि इस बार दिवाली पर मार्केट पिछली बार जितना तेज नहीं रहा। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद परिवारों ने अपने घरों का छोटा-मोटा कबाड़ बेचकर गुजारा किया। वहीं दो साल खरीदारी नहीं होने से लोगों के घरों से भी कबाड़ कम निकला। लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी रोजगार बंद होने से जरूरतमंद लोग पुराना लोहा खरीदने-बेचने के काम में लग गए।

इनका कहना है

शहर में इस बार गोदामांे और घरों से काफी पुराना माल निकला है। हालांकि बाजार उतना तेज नहीं था जितना कोरोनाकाल से पहले हुआ करता था। उम्मीद है बाजार में फिर से तेजी आएगी।

कैलाश ठाकुर, कबाड़ व्यवसायी


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