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राजस्थान में सिलिकोसिस से सिसक रही जिन्दगियां

-फेफड़ों में संक्रमण, दम फूलने से सांस लेने में भी परेशानी-प्रदेशभर में 8412 केस पंजीकृत, अजमेर जिले में 862 रोगी चिह्नित

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सिलिकोसिस से सिसक रही 'जिंदगीÓ

चन्द्र प्रकाश जोशी.अजमेर.
अजमेर सहित प्रदेशभर में सिलिकोसिस से हजारों रोगियों की 'जिंदगीÓ सिसक रही है। सैकड़ों परिवार इस गंभीर रोग की गिरफ्त में हैं। हालात यह हेै कि कई परिवारों में तो अब कमाने वाला तक नहीं रहा है। खानों एवं पत्थर पिसाई की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर सांस लेने के लिए कहीं वेंटीलेटर पर हैं तो कई दम तोड़ चुके हैं।

प्रदेशभर में करीब साढ़े आठ हजार रोगी सिलिकोसिस से पीडि़त हैं। अकेले अजमेर जिले में करीब 141 की मौत हो चुकी है। प्रदेश के खनन प्रभावित जिलों में सिलिकोसिस रोग का दायरा लगातार बढ़ रहा है। राज्य सरकार एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिलिकोसिस रोग से पीडि़त मजदूरों/श्रमिकों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, इसके बावजूद सिलिकोसिस रोगियों की संख्या बढ़ रही है।

खदान मालिकों की ओर से मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर सजगता नहीं बरतने का परिणाम है कि मजदूर ऐहतियात के कदम नहीं उठाते हैं।

क्या है सिलिकोसिस, क्या है कारण

चिकित्सकों के अनुसार सिलिकोसिस रोग खानों में काम करने, पत्थर की ग्राइंडिंग फैक्ट्री, मूर्ति बनाने की फैक्ट्री में काम करने एवं डस्ट/धूल के बारीक कण सांस के साथ फेंफड़ों तक पहुंचकर फेफड़ों में संक्रमण पैदा कर देते हैं। जिससे फेफड़े प्रोपर सांस नहीं ले सकते हैं।

सिलिकोसिस रोगियों की फैक्ट फाइल

8412- प्रदेशभर में सिलिकोसिस रोगी

862-अजमेर जिले में सिलिकोसिस रोगी
141-रोगी अजमेर जिले में सिलिकोसिस से

इनमें सर्वाधिक सिलिकोसिस मरीज :

ब्यावर, अजमेर, ब्यावर, मकराना, बोरावड़, खींवसर (नागौर) बूंदी, भीलवाड़ा, कोटा, जोधपुर, जालोर, राजसमंद जिलों में सिलिकोसिस के सर्वाधिक रोगी हैं।

पोर्टल पर पंजीकरण, एसएमएस से उपचार की सूचना :

राज्य सरकार की ओर से ई-मित्रों पर सिलिकोसिस रोगियों के पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। सिलिकोसिस पोर्टल पर मरीजों की जानकारी भरने के बाद मरीजों के मोबाइल पर एसएमएस से सूचना मिलती है कि किस नजदीकी अस्पताल में, कब जांच करवानी है। एक्सरे आदि की जांच में सिलिकोसिस के लक्षण पाए जाने पर उनका उपचार किया जाता है।

सिलिकोसिस के ब्यावर व अजमेर में करीब 862 रोगी पंजीकृत हैं, अब तक करीब 141 की मौत हो चुकी है। खानों में एवं ग्राइंडिंग में काम करते समय अगर श्रमिकों को मुंह पर मास्क लगाना चाहिए। सिलिकोसिस पोर्टल पर पंजीकरण होने के साथ ही मरीजों को अस्पताल, जांच तिथि की जानकारी उपलब्ध हो जाती है।

-डॉ.नीरज गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य श्वास एवं दमा रोग, जेएलएन मेडिकल कॉलेज


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