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उत्पादन के साथ आत्मनिर्भरता बढ़ा रहा सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक

राजस्थान में एसएसपी का उत्पादन, किसानों का भी बढ़ा रुझान, चीन से कम आयात का डीएपी पर पड़ा विपरीत असर

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चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. चीन से उर्वरक के कच्चे माल का आयात कम करने से डीएपी खाद (उर्वरक) की कमी के चलते रबी की बुवाई में किसानों की मशक्कत के बीच ही डीएपी का नया विकल्प किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खाद डीएपी से भी अच्छी क्वालिटी का बनाया जा रहा है। खास बात यह राजस्थान में ही सिंगल सुपर फास्फेट का उत्पादन हो रहा है। उर्वरक के मामले में राज्य के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह अच्छा कदम माना जा रहा है।
प्रदेशभर में सिंगल सुपर फास्फेट की डिमांड इस वर्ष बढऩे के साथ उत्पादन भी बढ़ा है। प्रदेश के चित्तौडगढ़़ व भीलवाड़ा स्थित प्लांट व फैक्ट्री में सिंगल सुपर फास्फेट का उत्पादन हो रहा है।

इसलिए डीएपी से बेहतर

-डीएपी खाद की तुलना में एसएसपी बेहतर है। इसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। जो तिलहन में तेल की मात्रा बढ़ाने के काम आती है और दलहन में प्रोटीन की अधिकता बढ़ाने का प्रमुख कारक है।

-सिंगल सुपर फास्फेट डीएपी खाद से सस्ता है। गुणकारी होने के साथ इससे फसलों को पर्याप्त फास्फोरस मिलता है।

किसमें, कितना तत्व

डीएपी : एक कट्टे में 23 किग्रा फास्फोरस एवं 9 किग्रा नाइट्रोजन उपलब्ध रहता है।
एसएसपी : इक बड़े कट्टे में 24 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा नाइट्रोजन एवं 16 किग्रा सल्फर होता है।

रबी में इन फसलों बुवाई

रबी में चना, सरसों, तारामीरा, जीरा, ईसबगोल सहित अन्य फसलों की बुवाई हो रही है। इनमें उर्वरक की जरूरत पड़ रही है।

इनका कहना है

सिंगल सुपर फास्फेट राजस्थान के चित्तौडगढ़़, निम्बाहेड़ा व भीलवाड़ा में उत्पादित हो रहा है। जितनी राजस्थान को जरूरत है उसके अनुसार उत्पादन भी हो रहा है। एसएसपी डीएपी से बेहतर है। कई किसान रबी की बुवाई में एसएसपी का उपयोग कर रहे हैं।

जितेन्द्र सिंह शक्तावत

उप निदेशक कृषि (विस्तार)